पत्नी को गुजारा भत्ता न देने पर पति के खिलाफ जारी हुआ था गिरफ्तारी वारंट, इलाहाबाद HC ने दी बड़ी राहत

पत्नी को गुजारा भत्ता देने के मामले में जब पति विकलांग कोर्ट के आदेश का पालन न कर सका. मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उसे 1 महीने जेल भेजने का आदेश दे दिया. मामला जब हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने इस आदेश को रद्द करते हुए कोर्ट के आदेश को पलट दिया.

By Prabhat Khabar | April 22, 2022 12:28 PM

Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 125 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत पत्नी को गुजारा भत्ता देने के मामले में पति को बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि गुजारा भत्ता देने के आदेश के बावजूद यदि पति किसी कारण पत्नी को राशि नहीं दे पाता तो मजिस्ट्रेट कोर्ट उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं कर सकती. हालांकि कोर्ट ने कहा कि गुजारा भत्ता न देने पर कॉस्ट लगाई जा सकती है. इसके साथ ही कुर्की और चल अचल संपत्ति को जब्त करने का भी आदेश दिया जा सकता है.

जस्टिस अजीत सिंह ने सुनाया फैसला

यह आदेश जस्टिस अजीत सिंह ने विपिन कुमार की याचिका पर दिया है. याची ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर प्रिंसिपल जज फैमिली कोर्ट, कासगंज के आदेश को चुनौती दी थी. मजिस्ट्रेट कोर्ट ने याची के खिलाफ पत्नी को भरण-पोषण न दे पाने के कारण 30 नवंबर, 2021 को गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. जिसे हाईकोर्ट ने स्थापित प्रावधानों के खिलाफ मानते हुए रद्द कर दिया.

जानिए क्या है पूरा मामला

दरअसल, याची विपिन सिंह की पत्नी ने अपनी बेटी के साथ कासगंज फैमिली कोर्ट में धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत भरण पोषण भत्ता देने की अर्जी दाखिल की थी. जिसपर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अर्जी मंजूर कर भरण-पोषण भत्ता देने का निर्देश दिया. पति विकलांग होने के कारण कोर्ट के आदेश का पालन न कर सका.

इस पर मजिस्ट्रेट ने याची के खिलाफ 30 जून, 2017 से 19 जनवरी, 2020 तक का 1 लाख 65 हजार की बकाया वसूली के लिए गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया. इसके बाद याची पति को मजिस्ट्रेट के 30 नवंबर, 2021 के आदेश से के अनुपालन में जेल भेज दिया गया.

इसके बाद पति ने आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी. पति का कहना था कि बिना जुर्माना लगाए और बिना धारा 125 (3) दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधान का पालन किए मजिस्ट्रेट का उसे 1 महीने जेल भेजने का आदेश देना गलत है. जिसपर कोर्ट में सुनवाई करते हुए मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को पलट दिया.

रिपोर्ट- एसके इलाहाबादी

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