बीजेपी नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी को पुलिस ने रोका, भड़क कर बोले- फकीरी छोड़ दी तो जान बचाना भारी पड़ जाएगा

अपनी ही सरकार की पुलिस के रोकने पर वरिष्ठ भाजपा नेता भड़क गए. वे नाराज होते हुए बोल पड़े, 'इनको गाड़ी वाले सांसद पसंद हैं क्योंकि वह माल खाते हैं और खिलाते हैं. हम न तो माल खिलाते हैं. हम न ही पैसे लेते हैं और न ही देते हैं.'

By Prabhat Khabar | September 11, 2022 4:44 PM

Meerut News: पश्चिमी यूपी के तेजतर्रार भाजपा नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी का वीडियो सोशल मीडिया में काफी वायरल हो रहा है. वह स्कूटी पर सवार है. वह काफी नाराज नजर आ रहे हैं. वह भड़के हुए हैं जबकि पुलिस के सीनियर अफसर बीजेपी नेता को मनाने की कोशिश कर रहे हैं. सादगी से जीवन जीते हुए भाजपा के बिाहर और झारखंड प्रभारी बनने वाले लक्ष्मीकांत वाजपेयी जम्मु कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात करने पहुंचे थे. इस बीच उन्हें पुलिस ने रोक लिया.

अपनी ही सरकार की पुलिस के रोकने पर वरिष्ठ भाजपा नेता भड़क गए. वे नाराज होते हुए बोल पड़े, ‘इनको गाड़ी वाले सांसद पसंद हैं क्योंकि वह माल खाते हैं और खिलाते हैं. हम न तो माल खिलाते हैं. हम न ही पैसे लेते हैं और न ही देते हैं.’ नाराज वाजपेयी आगे कहते हैं, ‘जिस दिन मैंने अपनी फकीरी छोड़ दी तो जान बचानी मुश्किल हो जाएगी. मैंने कई बड़े-बड़े तीस मार खां देखे हैं. ये मेरठ है रावण का ससुराल. अच्छे-अच्छे उलट कर चले गए यहां से.’

उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर विधानसभा से चार बार के विधायक डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेयी यूपी में वर्ष 2017 में भाजपा की सरकार आने के बाद से 2022 तक साइड लाइन थे, मगर वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी. उन्होंने पर्दे के पीछ रहकर अहम किरदार निभाया. पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव की पुत्रवधू अर्पणा बिष्ट यादव, उनके समधी हरिओम यादव,पूर्व सांसद सर्वराज सिंह के पुत्र सिद्धराज सिंह समेत प्रमुख नेताओं की भाजपा में ज्वाइनिंग कराई. भाजपा की प्रचंड जीत में अहम किरदार थे. यूपी में दोबारा सरकार आने के बाद डॉ लक्ष्मीकांत वाजेपयी को उनकी वफादारी का इनाम मिल गया है. 29 मई को राज्यसभा में भेजा गया था.मगर, शुक्रवार को झारखंड प्रदेश का चुनाव प्रभारी बनाया गया है. यहां अगले वर्ष चुनाव है.

Also Read: डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने पांच साल तक यूपी में पर्दे के पीछे से भाजपा को किया मजबूत, अब झारखंड की बारी

Next Article

Exit mobile version