Exclusive: कानपुर में हर द‍िन 5 टन प्‍लास्‍ट‍िक कचरे से बनेगा 2500 लीटर डीजल, कीमत होगी बाजार से ₹15 कम

प्‍लांट का संचालन करने वाली कंपनी का दावा है क‍ि इस मशीन से प्‍लांट लगने से प्रदूषण तो कम करने के साथ ही प्रत‍िद‍िन 2500 लीटर बायोडीजल भी तैयार क‍िया जाएगा. यह डीजल बाजार में उपलब्‍ध डीजल से तकरीबन 10 से 15 रुपये प्रति‍लीटर तक सस्‍ता होगा. अंत में प्राप्‍त कार्बन वेस्‍ट कोयले का काम करेगा.

By Neeraj Tiwari | August 1, 2022 2:08 PM

Kanpur Exclusive News: प्‍लास्‍ट‍िक कचरे से पूरी दुन‍िया हैरान-परेशान है. आधुन‍िकता की दौड़ में यह ऐसा प्रयोग है ज‍िससे अब सारी दुन‍िया मुक्‍त‍ि पाना चाहती है. व‍िकल्‍पों की खोज हो रही है. इसी बीच भोपाल के व‍िप‍िन त्र‍िपाठी ने प्‍लास्‍ट‍िक कचरे से बायोडीजल बनाने की एक मशीन तैयार की है. यूपी के कानपुर में इसी माह प्‍लास्‍ट‍िक कचरे से बायोडीजल बनाने का प्‍लांट भी शुरू हो जाएगा. कंपनी का दावा क‍िया जा रहा है क‍ि इस मशीन से प्‍लांट लगने से प्रदूषण तो कम करने के साथ ही प्रत‍िद‍िन 2500 लीटर बायोडीजल भी तैयार क‍िया जाएगा. यह डीजल बाजार में उपलब्‍ध डीजल से तकरीबन 10 से 15 रुपये प्रत‍िलीटर तक सस्‍ता होगा. वहीं, बायोवेस्‍ट को कोयले के स्‍थान पर प्रयोग क‍िया जा सकेगा.

3 करोड़ की लागत से लगता है प्‍लांट

कानपुर के पनकी क्षेत्र में तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से इस प्‍लांट को पीपीपी (पब्‍ल‍िक प्राइवेट पार्टनरश‍िप) मॉडल पर लगाया जा रहा है. प्‍लांट के संचालन का ज‍िम्‍मा मध्‍य प्रदेश के भोपाल में स्‍थाप‍ित पव‍ित्र वेस्‍ट मैनेजमेंट को सौंपा गया है. इस संबंध में ‘प्रभात खबर’ से बातचीत में कंपनी के डायरेक्‍टर व‍िप‍िन त्र‍िपाठी ने इस प्‍लांट को स्‍थाप‍ित करने में आने वाली लागत के बारे में उन्‍होंने बताया क‍ि तकरीबन 3 करोड़ रुपये की लागत आती है.

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दो स्‍टेज की हैं मशीन

व‍िस्‍तार से जानकारी देते हुये उन्‍होंने बताया क‍ि यह प्‍लांट दो स्‍टेज में लगता है. पहले स्‍टेज की मशीन को लगाने में एक से डेढ़ करोड़ रुपये की लागत आती है. इसकी मदद से प्‍लास्‍ट‍िक से कच्‍चा तेल बनाया जाता है. इसे एलडीओ (लाइट डीजल ऑयल) यानी पायरोल‍िस‍िस ऑयल का न‍िर्माण करती है. वहीं, दूसरे स्‍टेज की मशीन एलडीओ से बीएस-6 स्‍टैंडर्ड के डीजल और पेट्रोल में कन्‍वर्ट करती है. इसे स्‍थाप‍ित करने की लागत भी करीब डेढ़ करोड़ रुपये आती है.

कहां से म‍िली प्रेरणा?

अपने कॅर‍ियर के बारे में उन्‍होंने बताया कि‍ वह नेवी में लेफ्ट‍िनेंट कमांडर के पद से र‍िटायर्ड हैं. वे बताते हैं क‍ि अपनी नौकरी के दौरान उन्‍होंने पाया क‍ि भारत में गंदगी और कचरे को लेकर दुन‍िया में अच्‍छी छव‍ि नहीं थी. हालांक‍ि, वे यह भी मानते हैं क‍ि बीते कुछ साल से इस द‍िशा में तेजी से काम क‍िया जा रहा है. उन्‍हें अपनी नौकरी के दौरान हमेशा यही लगता रहा क‍ि वे देश को स्‍वच्‍छ बनाने के ल‍िए कुछ नया करना चाहते हैं. इसी प्रेरणा के साथ उन्‍होंने इस मशीन को बनाने के बारे में सोचा.

2022 में मशीन हुई पेटेंट

व‍िप‍िन बताते हैं क‍ि उन्‍होंने अपनी र‍िटायरमेंट के बाद तकरीबन दो साल तक मशीन से डीजल बनाने का प्रयास क‍िया. उस बीच वे करीब 26 बार असफल भी हुए. इस दौरान करीब 25 लाख रुपये उन्‍होंने खर्च कर द‍िए. वे बताते हैं क‍ि मशीन को उन्‍होंने साल 2017 में ही पेटेंट के ल‍िए अप्‍लाई क‍िया था. साल 2022 में मशीन का पेटेंट म‍िल गया. इसके बाद पायलट प्रोजेक्‍ट के तहत बने बायोडीजल को ऑटो चालकों को बेचा गया. सफलता म‍िलने के बाद इस प्रोजेक्‍ट को अब वे व‍िस्‍तार दे रहे हैं.

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1 क‍िलो प्‍लास्‍ट‍िक से 400 एमएल डीजल

उन्‍होंने बताया क‍ि मध्‍य प्रदेश के व‍िद‍िशा में फ‍िलहाल बायोडीजल का न‍िर्माण क‍िया जा रहा है. वे बताते हैं क‍ि आमतौर पर 1 क‍िलोग्राम प्‍लास्‍ट‍िक से करीब 400 एमएल डीजल बनाया जाता है. उनकी कंपनी का कानपुर में प्रत‍िद‍िन 5 टन प्‍लास्‍ट‍िक कचरे से 2500 लीटर डीजल बनाने का करार हुआ है. आने वाले समय में इसकी सीमा को बढ़ाया भी जा सकता है.

झांसी और गोरखपुर में भी लगेंगे प्‍लांट

डायरेक्‍टर व‍िप‍िन त्र‍िपाठी ने बताया क‍ि इस प्‍लास्‍ट‍िक कचरे में घरों से न‍िकलने वाली पन्‍नी, प्‍लास्‍ट‍िक के ड‍िब्‍बे और बॉटल्‍स आद‍ि से बायोडीजल बनाने का काम क‍िया जाएगा. उन्‍होंने अपने आगामी प्रोजेक्‍ट के बारे में बताया क‍ि कानपुर में प्‍लांट स्‍टार्ट होने के बाद झांसी और गोरखपुर में भी प्‍लांट शुरू करने की योजना है. लखनऊ में भी कंपनी का प्रयास है क‍ि वह ऐसा प्‍लांट स्‍थाप‍ित कर स्‍वच्‍छता म‍िशन को बढ़ावा दे.

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