Ayodhya: जहां भगवान राम ने ली थी जल समाधि, अब बनेगा प्रमुख पर्यटन स्थल, जानें विस्तार से

Ayodhya: जिला प्रशासन जल्द ही सरयू नदी के तट पर स्थित गुप्तार घाट को एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण में बदलने की योजना में है. बता दें कि कहा जाता है कि भगवान राम द्वारा इसी स्थल पर जल समाधि ली गयी थी. भक्त इस स्थान की भी पूजा करते है.

By Aditya kumar | February 16, 2023 4:38 PM

Ayodhya: अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है. साथ ही आसपास के इलाकों को भी विकसित करने के लिए राज्य सरकार की ओर से कई प्रयास किये जा रहे है. ऐसे में जिला प्रशासन जल्द ही सरयू नदी के तट पर स्थित गुप्तार घाट को एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण में बदलने की योजना में है. बता दें कि कहा जाता है कि भगवान राम द्वारा इसी स्थल पर जल समाधि ली गयी थी. भक्त इस स्थान की भी पूजा करते है.

10 एकड़ चौड़ा रिवरफ्रंट विकसित करने के लिए एजेंसियों के साथ बैठक

प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह ने कहा कि अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) गुरुवार को 10 एकड़ चौड़ा रिवरफ्रंट विकसित करने के लिए एजेंसियों के साथ बैठक करेगा. प्राधिकरण घाट पर फूड कियोस्क, इंटरप्रिटेशन सेंटर, ओपन एयर थिएटर, दिव्यांगजन पार्क, थेरेपी गार्डन, टैरेस गार्डन, चिल्ड्रन पार्क, मेडिटेशन सेंटर, सर्विलांस और पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम, डेकोरेटिव लाइटिंग और गज़बॉस स्थापित करने की योजना बना रहा है.

जानिए क्या कुछ है विशेषता ?

साथ ही उन्होंने कहा, “13.50 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली सुविधाओं को इस साल के अंत तक आगंतुकों के लिए उपलब्ध कराने की योजना है.” बता दें कि पिछले दो वर्षों में, गुप्तार घाट के लेआउट और समग्र रूप को बदलने के लिए 40 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है. इसके तहत, 24 मीटर चौड़ी और 600 मीटर लंबी नई लिंक रोड, 430 वाहनों की क्षमता वाली पार्किंग बे और गुप्तार घाट के साथ 1.15 किलोमीटर लंबे तटबंध का निर्माण हुआ.

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‘मौजूदा सड़क ज्यादा चौड़ी नहीं’

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कैंट क्षेत्र में स्थित मौजूदा सड़क इतनी चौड़ी नहीं है कि बढ़े हुए यातायात भार को झेल सके और इसलिए एक नई लिंक सड़क विकसित की गई है.” अधिकारी ने कहा कि साइट पर बुनियादी ढांचा और सिविल कार्य शुरू कर दिया गया है और अब केवल सौंदर्यीकरण का काम किया जाना है. कैनोपी सीटिंग के साथ रिवरसाइड फूड कियोस्क कॉम्प्लेक्स में कोलोनेड फ्रंटेज विकसित किया जाएगा. साथ ही, पर्यटकों के साथ विरासत के जुड़ाव को प्रोत्साहित करने के लिए मल्टीमीडिया कार्यक्रमों और दर्शनीय स्थलों की प्रदर्शनियों का उपयोग किया जा रहा है.

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