25 साल पहले गुंडों ने पिता की हत्या की, अब बेटी बनी जज

मां ने केस लिया वापस मुजफ्फरनगर : अंजुम सैफी 1992 में महज चार साल की थीं जब गोलियों से छलनी उनके पिता का शरीर उनके घर पहुंचा था. उनके पिता बदमाशों की गोलियों का शिकार हुए थे. इस घटना को अब 25 वर्ष बीत चुके हैं. लेकिन अंजुम के जेहन में आज भी पिता की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 16, 2017 11:06 AM
मां ने केस लिया वापस
मुजफ्फरनगर : अंजुम सैफी 1992 में महज चार साल की थीं जब गोलियों से छलनी उनके पिता का शरीर उनके घर पहुंचा था. उनके पिता बदमाशों की गोलियों का शिकार हुए थे. इस घटना को अब 25 वर्ष बीत चुके हैं. लेकिन अंजुम के जेहन में आज भी पिता की धुंधली यादें ताजा हैं. वे हमेशा बेटी को जज बनने के लिए प्रेरित करते थे. अंजुम ने जब सफल अभ्यर्थियों की सूची में अपना नाम देखा, उनकी आंखें भर आईं.
गला रुंध गया, कुछ भी बोलते नहीं बना बस पिता को याद कर रो पड़ीं. आज अजुंम जज बनने की राह पर हैं. उनके पिता रशीद अहमद की बाजार में हार्डवेयर की दुकान थी, वहां लुटेरों के खिलाफ उन्होंने मोर्चा खोला था. बाजार में पुलिस की सुरक्षा को बढ़ाने की मांग को लेकर रशीद ने आंदोलन की अगुवाई भी की, एक दिन हॉकर से पैसे छीन रहे गुंडों को रोकने की कोशिश कर रहे अहमद को सरे बाजार गोलियों से भून दिया गया.
अंजुम की मां हामिदा बेगम ने बताया कि जब रिजल्ट आया तो सभी पड़ोसी और रिश्तेदार जश्न में थे. लेकिन, अंजुम बार-बार सभी से बस यही कह रही थी कि काश आज पापा यहां होते. अंजुम के बड़े भाई दिलशाद अहमद ने बताया कि पापा के जाने के बाद उनके सपनों को पूरा करने के लिए हम सभी ने कड़ी मेहनत की है. हमने तमाम कठिनाइयों का दौर देखा लेकिन हम हारे नहीं और उसी का नतीजा है कि आज मेरी बहन इस मुकाम पर है. बता दें कि 40 साल के होने के बावजूद दिलशाद अहमद ने अभी शादी नहीं की है. अपनी बेटी की सफलता से उत्साहित हामिदा बेगम ने बताया कि हम चाहते थे कि हमारे बच्चे अच्छे से पढ़े लिखें और अपना नाम रोशन करें.

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