राजस्थान में कांग्रेस को जोरदार झटका, जानें सुभाष महरिया के भाजपा में शामिल होने से कितना हो सकता है नुकसान

सुभाष महरिया पेशे से किसान, सामाजिक कार्यकर्ता तथा उद्योगपति हैं जिनका अपने क्षेत्र में काफी प्रभाव है. जानें सुभाष महरिया के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस को कितना होगा नुकसान

By Amitabh Kumar | May 19, 2023 5:58 PM

राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले कांग्रेस की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया ने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की उपस्थिति में जयपुर में भाजपा का दामन थाम लिया. आपको बता दें कि सुभाष महरिया 2016 में भाजपा से नाराज होकर कांग्रेस में शामिल हो गये थे. कांग्रेस को छोड़ने से पहले उन्होंने पार्टी पर कई तरह के आरोप लगाये थे.

भाजपा में शामिल होने के बाद महरिया ने कहा कि फिर से अपने परिवार में आकर बहुत खुशी हो रही है. मैं भाजपा कार्यकर्ता के तौर पर फिर से शामिल हुआ हूं. पार्टी की ओर से मुझे जिस तरह की भी जिम्मेदारी दी जाएगी, मैं उसे पूरा करने का प्रयास करूंगा. आइए नजर डालते हैं सुभाष महरिया के राजनीतिक करियर पर…

लगातार तीन बार सांसद रह चुके हैं सुभाष महरिया

29 सितंबर 1957 को सुभाष महरिया का जन्म हुआ. वह बीए पास हैं. उन्होंने सीकर के एसके कॉलेज से बीए पास किया है. सुभाष महरिया पेशे से किसान, सामाजिक कार्यकर्ता तथा उद्योगपति हैं जिनका अपने क्षेत्र में काफी प्रभाव है. साल 1998, 1999 व 2004 में लोकसभा के लिए वे चुने गये. महरिया को 1996 के चुनाव में कांग्रेस के हरि सिंह ने पराजित किया. इसके अगले ही चुनाव में उन्होंने हरी सिंह से इस हार का बदला लिया और जनता के भरोसा पर खरे उतरे. इसके बाद लगातार तीन बार यहां से सांसद चुने गये. साल 2009 के चुनाव में हार के बाद 2014 के चुनाव में भाजपा ने उन्हें चुनावी मैदान पर नहीं उतारा जिससे वे नाराज होकर कांग्रेस में चले गये. 2016 से उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया. 2019 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा था.

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प्रमुख जाट नेता के तौर पर पहचान

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे महरिया की पहचान एक प्रमुख जाट नेता के तौर पर रही है. वह भाजपा के किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर अपनी सेवा दे चुके हैं. महरिया 1998 और 1999 से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए इसके बाद 2004 तक केंद्रीय राज्यमंत्री ग्रामीण विकास मंत्रालय में अपनी सेवा दी. 2004 में फिर लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए इसके बद 2010 में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य पर थे. 2011 में उन्हें भाजपा की ओर से किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद दिया गया था.

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