राजस्थान में साइकिल चोरी का अनोखा मामला, कसूरवार ने चिट्ठी लिख कर कहा- हो सके तो माफ कर देना जी, मजबूर मजदूर का माफीनामा पढ़ कर आप भी हो जायेंगे भावुक

भरतपुर : वैश्विक कोरोना महामारी के कारण देशभर में लागू लॉकडाउन से मानव जीवन के कई रंग देखने को मिल रहे हैं. मानवता, सेवाभाव, स्वाभिमान, यहां तक कि चोरी की मजबूरी की खबरें भी आ रही हैं. लॉकडाउन में फंसे बेबस लोग हर कीमत पर घर लौटने को आतुर हैं. चाहे इसके लिए चोरी जैसा जुर्म ही क्यों न करना पड़े. एक ऐसा ही मामला राजस्थान के भरतपुर से सामने आया है, जिसमें यूपी के एक प्रवासी मजदूर ने अपने घर जाने के लिए भरतपुर के एक शख्स की साइकिल चोरी कर ली. खुद्दारी देखिए उस मजदूर की, कि उसने प्रायश्चित करते हुए साइकिल मालिक के लिए एक चिट्ठी छोड़ दी, जिसमें उसने लिखा है कि माफ करना साहब. मजदूर हूं. मजबूर हूं. घर में दिव्यांग बेटा है. इसीलिए आपकी साइकिल ले ली है, ताकि जल्द बेटे से मिल सकूं.

By Prabhat Khabar Print Desk | May 18, 2020 9:56 AM

भरतपुर : वैश्विक कोरोना महामारी के कारण देशभर में लागू लॉकडाउन से मानव जीवन के कई रंग देखने को मिल रहे हैं. मानवता, सेवाभाव, स्वाभिमान, यहां तक कि चोरी की मजबूरी की खबरें भी आ रही हैं. लॉकडाउन में फंसे बेबस लोग हर कीमत पर घर लौटने को आतुर हैं. चाहे इसके लिए चोरी जैसा जुर्म ही क्यों न करना पड़े. एक ऐसा ही मामला राजस्थान के भरतपुर से सामने आया है, जिसमें यूपी के एक प्रवासी मजदूर ने अपने घर जाने के लिए भरतपुर के एक शख्स की साइकिल चोरी कर ली. खुद्दारी देखिए उस मजदूर की, कि उसने प्रायश्चित करते हुए साइकिल मालिक के लिए एक चिट्ठी छोड़ दी, जिसमें उसने लिखा है कि माफ करना साहब. मजदूर हूं. मजबूर हूं. घर में दिव्यांग बेटा है. इसीलिए आपकी साइकिल ले ली है, ताकि जल्द बेटे से मिल सकूं.

साइकिल चोरी की आत्मग्लानि

राजस्थान के भरतपुर में उत्तर प्रदेश के एक प्रवासी मजदूर ने लॉकडाउन में फंस जाने के कारण साइकिल चोरी कर ली, ताकि वह जल्द अपने घर पहुंच सके और दिव्यांग बेटे से मिल सके. ऐसा करते हुए शायद उस बेबस मजदूर को आत्मग्लानि महसूस हुई, तो उसने साइकिल ले जाते वक्त साइकिल मालिक के लिए एक चिट्ठी लिखकर छोड़ दी. प्रवासी मजदूर का यह भावुक पत्र पढ़कर साइकिल मालिक भी सोचने पर विवश हो गया. घर में साइकिल नहीं मिलने पर साइकिल मालिक थाने जाकर शिकायत करने के लिए निकल पड़ा था, लेकिन इस चिट्ठी ने उसके कदम रोक दिये.

साइकिल चोरी का गम, लेकिन चिट्ठी पढ़ हुए भावुक

राजस्थान के भरतपुर-मथुरा मार्ग स्थित सहनावाली गांव के रहने वाले साहब सिंह जब बाहर जाने के लिए अपनी साइकिल निकालने लगे, तो वह गायब थी. साइकिल चोरी हो गई थी. साइकिल तो उन्हें नहीं मिली, लेकिन वहां उन्हें एक चिट्ठी मिली. उत्तर प्रदेश के बरेली निवासी प्रवासी मजदूर की बेबसी से सनी ये चिट्ठी पढ़कर साहब सिंह उस मजदूर की खुद्दारी पर सोचते रह गये.

चिट्ठी का मजमून पढ़ आप भी हो जायेंगे भावुक

उत्तर प्रदेश के बरेली के प्रवासी मजदूर ने चिट्ठी इस अंदाज में लिखी है. नमस्ते जी, मैं आपकी साइकिल लेकर जा रहा हूं. हो सके तो मुझे माफ कर देना जी क्योंकि मेरे पास कोई साधन नहीं है. मेरा एक बच्चा है, उसके लिए मुझे ऐसा करना पड़ा है क्योंकि वो दिव्यांग है. चल नहीं सकता. हमें बरेली तक जाना है. आपका कसूरवार, एक यात्री मजदूर एवं मजबूर.

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