भुवनेश्वर : कमिश्नरेट पुलिस की छापेमारी में एनसीइआरटी की नकली किताबें बरामद, चार हिरासत में

कमिश्नरेट पुलिस ने राजधानी में नकली एनसीइआरटी किताबों के जखीरे का पता लगाया है. ऐसी करीब 10 लाख रुपये मूल्य की नकली किताबें जब्त की गयी हैं. रैकेट का मास्टरमाइंड फरार है, लेकिन चार अन्य को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है.

By Prabhat Khabar | May 5, 2024 11:55 PM

भुवनेश्वर. कमिश्नरेट पुलिस ने राजधानी में नकली एनसीइआरटी किताबों के जखीरे का पता लगाया है. ऐसी करीब 10 लाख रुपये मूल्य की नकली किताबें जब्त की गयी हैं. रैकेट का मास्टरमाइंड फरार है, लेकिन चार अन्य को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. ये किताबें कहां छपीं और कैसे बाजार में आयीं? भुवनेश्वर के अलावा और किन शहरों में इसका कारोबार हो रहा है? पुलिस ने इसकी जांच शुरू कर दी है.

पुलिस के मुताबिक, एनसीइआरटी की ओर से नकली किताबों को लेकर शिकायत दर्ज करायी गयी थी. इसके आधार पर खारबेल नगर थाना पुलिस ने विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की. छापेमारी के दौरान 10 लाख से ज्यादा कीमत की 300 से ज्यादा नकली किताबें जब्त की गयी हैं.

ओडिशा में बिक्री घटने पर जांच को पहुंची एनसीइआरटी की टीम

बताया गया कि ओडिशा में छात्रों की संख्या बढ़ने के बाद भी एनसीइआरटी की किताबों की बिक्री में कमी को देखते हुए पश्चिम बंगाल से एनसीइआरटी की चार सदस्यीय टीम ने ओडिशा आकर सर्वे किया था. टीम ग्राहक बनकर किताबें खरीदने के बहाने राजधानी के कुछ किताब दुकानों में पहुंची और जांच की. सबसे पहले मास्टर कैंटीन में छात्र ने बुक स्टोर से किताब खरीदी. उनके हाथ दो नकली किताबें थीं. किताब के कागज और होलोग्राम से पता चला कि यह नकली है. शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए एनसीइआरटी के अधिकारियों ने कमिश्नरेट पुलिस की एक टीम की मौजूदगी में भुवनेश्वर में रवि टॉकीज स्क्वायर के पास शुभम बुक स्टोर पर छापेमारी की और डुप्लिकेट किताबें जब्त कीं. बाद में कुछ अन्य किताबों की दुकानों पर भी छापे मारे गये. बाद में डीसीपी प्रतीक सिंह के नेतृत्व में आइआइसी रजनीकांत मिश्रा और उनकी टीम ने बड़गड़ में शुभम बुक स्टोर डिपो पर छापा मारा. वहां से भारी मात्रा में नकली किताबें बरामद की गयीं. अनुमान है कि इनकी कीमत 10 लाख रुपये से ज्यादा होगी. पुलिस वहां से मालिक और कर्मचारी को उठाकर थाने ले आयी.

ओडिशा में बिक्री 12 करोड़ से घटकर दो करोड़ रह गयी

एनसीइआरटी के बिजनेस मैनेजर आरके द्विवेदी ने बताया कि एनसीइआरटी की किताब कलकत्ता से आती है. ओडिशा के बाजार में हर साल लगभग 12 करोड़ की किताबें बिकती हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों में यह रकम घटकर दो करोड़ रुपये रह गयी है. जब ओडिशा के विक्रेताओं की मांग कम होने लगी, तो हमें संदेह हुआ कि कुछ गड़बड़ है. कुछ स्कूलों ने हमारे दिल्ली कार्यालय में भी शिकायत दर्ज करायी. विक्रेताओं ने हमें कक्षा 9वीं और 10वीं की डुप्लीकेट किताबें प्रचलन में होने की भी जानकारी दी. भुवनेश्वर डीसीपी प्रतीक सिंह ने कहा कि पायरेटेड एनसीइआरटी किताबों का पता लगाने के लिए हमारी छापेमारी चल रही है. एनसीइआरटी के अधिकारियों ने हमें पायरेटेड किताबों की बिक्री के बारे में सूचित किया है.

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