यदि सिमड़तल्ला झील बर्ड सेंचुरी नहीं बन सकती, तो गोचर भूमि पर एयरपोर्ट भी नहीं चाहिए
डिहारी, हाजीपुर भीठा, पटवर टोला और भोलिया टोला की महिलाएं अनशन बैठीं, कहा
मंडरो. जिले के डिहारी, हाजीपुर भीठा, पटवर टोला और भोलिया टोला गांव की सैकड़ों महिलाएं अपनी दो महत्वपूर्ण मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गयी हैं. महिलाओं का स्पष्ट कहना है कि “यदि सिमड़तल्ला झील बर्ड सेंचुरी नहीं बन सकती, तो गोचर भूमि पर एयरपोर्ट भी नहीं चाहिए.” ग्रामीण महिलाओं ने गांव के बीच बनने वाली प्रस्तावित फोर लेन सड़क को गोचर जमीन पर शिफ्ट करने और सिमरतल्ला झील को बर्ड सेंचुरी घोषित करने की मांग को लेकर शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन शुरू किया है. महिलाओं का कहना है कि प्रस्तावित फोर लेन सड़क गांव के मध्य से गुजरने पर कई परिवार प्रभावित होंगे, जिससे विस्थापन और गांव के उजड़ने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. उनका आग्रह है कि ग्रीनफील्ड मार्ग को गोचर जमीन पर स्थानांतरित किया जाए, ताकि आवागमन की सुविधा भी बनी रहे और ग्रामीण बस्तियां भी सुरक्षित रहें. दूसरी ओर सिमड़तल्ला झील को पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए महिलाओं ने इसे बर्ड सेंचुरी घोषित करने की मांग को जोर दिया है. उनका मानना है कि झील प्राकृतिक रूप से जैवविविधता का प्रमुख केंद्र है, जिसे संरक्षित रखने से पक्षियों के आवास और पर्यावरण संतुलन दोनों को मजबूती मिलेगी. गांव और पर्यावरण संरक्षण के लिए पंकज कुमार ओझा द्वारा चलाये जा रहे जन-आंदोलन को महिलाओं का व्यापक समर्थन मिला है. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस अधीक्षक, अनुमंडल पदाधिकारी, अंचल पदाधिकारी तथा मुफस्सिल थाना प्रभारी को आवेदन देकर शांतिपूर्ण आंदोलन की जानकारी दी है. ओझा ने स्पष्ट कहा कि दोनों प्रमुख मांगों की पूर्ति तक यह अनशन एवं धरना जारी रहेगा. रविवार को आंदोलन के दूसरे दिन रूपा भारती, नूतन देवी, अर्पणा देवी, सोनी कुमारी सहित तीन गांव और आठ टोले की हजारों महिलाएं एकजुट होकर शामिल हुईं. महिलाओं ने कहा कि आंदोलन गांव को बचाने और प्राकृतिक धरोहरों की रक्षा के लिए पूरी तरह शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा.
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