एसपीटी एक्ट का हो रहा उल्लंघन, जल्द पहल करे राज्य सरकार
एसपीटी एक्ट का हो रहा उल्लंघन, जल्द पहल करे राज्य सरकार
बरहेट. प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सिंगा मैदान में हिल असेंबली पहाड़िया महासभा झारखंड के बैनर तले गुरुवार को कार्यक्रम का आयोजन हिल असेंबली के अध्यक्ष शिवचरण मालतो के नेतृत्व में किया गया. इसमें सैकड़ों की संख्या में आदिम जनजाति समुदाय के लोग शामिल हुए. इस दौरान मुख्य अतिथि सचिव डेविड मालतो, सलाहकार रामकुमार पहाड़िया, प्रवक्ता कमलेश्वर पहाड़िया, साहिबगंज जिलाध्यक्ष तिलोती मालतो, दुमका जिलाध्यक्ष रामजीवन देहरी सहित अन्य मौजूद थे. जबरा पहाड़िया उर्फ तिलका मांझी जिंदाबाद के नारे लगे. बारी-बारी से दीप प्रज्वलित कर हुए कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते कहा कि संताल परगना में आदिम जनजाति की स्थिति बेहद चिंताजनक है. आजादी के बाद भी पहाड़िया क्षेत्रों में सड़क, बिजली, पानी की समस्या है. विडंबना है कि आजादी के बाद सभी समुदायों को हिस्सा मिला. उन्हें अपने-अपने समुदायों को प्रतिनिधित्व करने का हक दिया गया. लेकिन, पहाड़िया समुदायों को प्रतिनिधित्व करने का अवसर नहीं मिल पाया. वर्तमान में संताल परगना में पहाड़िया जनजाति की संख्या अधिक है. लेकिन उनका प्रतिनिधित्व करने वाला कोई नहीं है. जिससे समाज की समस्याओं की आवाज सदन में नहीं पहुंचती है. वहीं, वर्तमान में एसपीटी एक्ट 1949 में दिये गये शक्ति का उल्लंघन कर धड़ल्ले से अवैध रूप से खदान क्रशर से जमीन पर कब्जा किया जा रहा है. इससे पहाड़िया जनजाति का अस्तित्व ही खतरे में है. इसको लेकर सरकार जल्द पहल करे. लोग कल्याणकारी योजनाएं से वंचित हो रहे हैं. अनुसूचित क्षेत्रों में पी-पेसा एक्ट 1996 लागू नहीं होने से हम सभी खतरा मंडरा रहा है. हम रोजगार के लिए अन्य राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं. मौके पर धर्मदेव पहाड़िया, मार्कोश मालतो, मैसा पहाड़िया, सीताराम पहाड़िया, नारायण पहाड़िया, प्रेम प्रकाश देहरी, सोमरा पहाड़िया , पूषा पहाड़िया सहित अन्य मौजूद थे. ये हैं पहाड़िया समुदाय की मांगें 2 नवंबर 1894 को घोषित ‘सौरिया पहाड़िया कंट्री’ को अलग कर पहाड़िया को स्वायतता प्रदान किया जाये. पी-पेसा 1996 (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार अधिनियम) को अविलंब लागू किया जाये. संताल परगना टेंडेंसी एक्ट 1949 की धारा 20 व धारा 41 का उल्लंघन करना बंद किया जाये. अवैध तरीके से लीज पत्थर खदान एवं अन्य क्रशर को अविलंब बंद किया जाये. झारखंड राज्य आदिम जनजाति आयोग का अविलंब गठन किया जाये. झारखंड राज्य आदिम जनजाति प्राधिकरण का अविलंब गठन किया जाये. झारखंड राज्य आदिम जनजाति समुदाय के महिलाओं को समान पेंशन 2500 रुपये दिया जाये.
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