दूसरे घर से पानी लाकर बुझानी पड़ रही प्यास, बन रहा एमडीएम
उप्रावि, बाबूपाड़ा में सुविधाओं, संसाधन का का अभाव
तीनपहाड़. सरकारी शिक्षा बेहतर बनाने के लिए जगह-जगह विद्यालय खोले गए हैं. लेकिन कई विद्यालयों में संसाधन और सुविधाओं की कमी बच्चों के शैक्षणिक विकास को प्रभावित कर रहे हैं. बाबूपुर पंचायत के बाबूपाड़ा स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय का कुछ ऐसा ही हाल है, जहां स्कूल तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं है. मुख्य सड़क से दूर स्कूल जाने में पगडंडी ही उनके आवागमन का माध्यम है. बारिश के दिनों में तो स्कूल पहुंचना मुश्किल हो जाता है. बच्चों को जोंक पकड़ लेता है, जिससे वे डरे सहमे रहते हैं. वहीं, बगल के नाले को पार करना बच्चाें के लिए खतरे से कम नहीं रहता है. हालांकि, शिक्षक ही बच्चों को नाला पार कराते हैं. बच्चों की पढ़ाई में शिक्षकों की कमी बन रही है बाधा साल 2000 में अभियान विद्यालय के रूप में स्कूल खुला था, तब दो शिक्षक पदस्थापित थे, जिनमें बिनोद कुमार साह और लिली चौबे शामिल थे. 2005 में अपग्रेड कर उप्रावि, बाबूपाड़ा, बना दिया गया. पांचवीं तक कक्षा चलती है.वर्ष 2015 में लिली चौबे सेवानिवृत्त हो गयीं. तबसे विद्यालय में केवल एक शिक्षक के भरोसे पढ़ाई हो रही है. 400 मीटर दूर दूसरे घर से कर रहे पानी का जुगाड़ स्कूल में दूसरी सबसे बड़ी समस्या पानी की है. बच्चों के पीने व मध्याह्न भोजन बनाने के लिए पानी तक उपलब्ध नहीं है. इसके बाद शिक्षक के प्रयास से स्कूल से 400 मीटर दूर एक व्यक्ति के घर से पानी लाना शुरू किया गया, जिससे बच्चों को भोजन और पानी मिल पाता है. जनप्रतिनिधियों से पदाधिकारियों तक सुनायी गयी समस्या, कोई हल नहीं समस्या को लेकर विद्यालय के शिक्षक बिनोद कुमार साह ने पानी, शिक्षक और सड़क की समस्या से जिला परिषद सदस्य, पंचायत के मुखिया, शिक्षा विभाग, उपायुक्त, विधायक और सांसद को लिखित रूप से अवगत कराया था. लेकिन अब तक किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सका है.
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