मछली पालन बन रहा आत्मनिर्भरता और समृद्धि का जरिया

मछली पालन बन रहा आत्मनिर्भरता और समृद्धि का जरिया

By BIKASH JASWAL | August 19, 2025 7:00 PM

जिले में 20 हजार मीट्रिक टन मछली का उत्पादन करेंगे मत्स्य पालक गुड न्यूज. पिछले वर्ष 1500 मीट्रिक टन ज्यादा हुआ था मछली उत्पादन नागराज साह, बरहेट. जिले के मत्स्य पालकों को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के उद्देश्य से मत्स्य विभाग लगातार काम कर रहा है. मत्स्य पालकों को सरकार प्रशिक्षित भी कर रही है. ताकि, वे अपने गांव में मौजूद तालाब में मछली पालन आसानी से कर सकें. इस वित्तीय वर्ष जिलेभर में 20 हजार मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य मत्स्य विभाग द्वारा रखा गया है. पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले यह लक्ष्य 1500 मीट्रिक टन ज्यादा है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में यह लक्ष्य 18,500 टन था. रिकॉर्ड कायम करते हुये यहां के मत्स्य पालकों ने यह लक्ष्य हासिल करने के साथ-साथ अच्छी आमदनी भी की थी. क्योंकि, स्थानीय बाजारों में लोकल मछली की डिमांड अधिक रहती है. जिले में मछली उत्पादन का क्रेज प्रतिवर्ष बढ़ता ही जा रहा है. मत्स्य विभाग के पास कुल 600 से अधिक छोटे-बड़े राजस्व तालाब हैं, जिसका जल क्षेत्र 1100 एकड़ है. इसके अतिरिक्त निजी क्षेत्र के तालाबों, डोभा, खदानों में भी प्रशिक्षित मत्स्य पालकों द्वारा मछली पालन का कार्य किया जा रहा है. मत्स्य पालकों को मिलता है तीन दिवसीय प्रशिक्षण मत्स्य पालकों को विभाग द्वारा तीन दिवसीय विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है. जिसमें मछली पालन, बीज उत्पादन, मछली की बीमारियों का प्रबंधन और विपणन शामिल हैं. इस क्षेत्र में महिलाओं की उपस्थिति दर्ज कराने को लेकर जिले भर की सखी मंडल की दीदीयों को भी मछली बीज देकर उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इससे ये दीदीयां स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ेंगी एवं आत्मनिर्भर बनेंगी. आधुनिक तरीके से किया जा रहा है मत्स्य पालन जिले में मुख्य रूप से रोहू, कतला, मृगल, ग्रास कार्य एवं कॉमन कार्य, पंगास एवं मोनोसेक्स तिलापिया मछली का पालन किया जाता है. जलाशयों में केज कल्चर तकनीक के द्वारा पंगास एवं मोनोसेक्स तिलापिया मछली का पालन आधुनिक तरीके से किया जा रहा है. मत्स्य पालन एवं इससे संबंधित कार्यों जैसे मछली बीज उत्पादन व बेचने के कार्य से जुड़कर 15000 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है. इससे मत्स्य पालकों की आय में काफी बढ़ोतरी हुयी है. मत्स्य पालकों के लिए चल रहीं कई योजनाएं केंद्र सरकार व राज्य सरकार दोनों ही मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिये कई योजनाएं संचालित कर रही हैं. ताकि, योजना से जुड़कर अधिक से अधिक लोग स्वावलंबी बन सकें. जिले के मत्स्य कृषक खासकर जलाशयों में केज कल्चर तकनीक से मछली पालन करने वाले कृषक फीड बेस्ड फिशरीज योजना से लाभान्वित हो रहे हैं. जिसमें प्रति किलो मछली दाना की खरीद पर 25 रूपये अनुदान मत्स्य पालकों को दिया जा रहा है. विभाग द्वारा जलाशयों के मत्स्यजीवी सहयोग समिति के सदस्यों को शिकार करने के लिये गिल नेट का भी लाभ दिया जा रहा है. साथ ही मछली का जीरा, मछली का भोजन सहित प्रशिक्षण दिलाने को लेकर केंद्र और राज्य सरकार 60:40 अनुपात में राशि मुहैया कराती है. इसके अलावे उन्हें ऋण मुहैया कराने के लिये किसान क्रेडिट कार्ड से जोड़ा गया है एवं जिले के तकरीबन 5000 मत्स्य पालक, विक्रेता एवं मछुआरे का प्रधानमंत्री दुर्घटना बीमा योजना में निबंधन भी कराया गया है. जिले में विगत 10 वर्ष में मछली उत्पादन पर एक नजर वर्षउत्पादन (मीट्रिक टन) 2016-17 7,500 2017- 18 8,500 2018-19 10,670 2019-20 12,000 2020-21 13,500 2021-2214,500 2022-23 15,500 2023-24 16,500 2024-2518,500 2025- 26 20,000 क्या कहते हैं जिला मत्स्य पदाधिकारी…………… जिले में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास जारी हैं. इस वर्ष 20 हजार टन मछली उत्पादन का लक्ष्य है, जिसके लिए विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है. इच्छुक कृषक आवेदन कर सकते हैं. वीरेंद्र कुमार सिन्हा,

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