Water Crisis In Jharkhand: झारखंड में जल संकट से निबटने का हेमंत सोरेन सरकार का क्या है एक्शन प्लान?
Water Crisis In Jharkhand: झारखंड की मुख्य सचिव अलका तिवारी की अध्यक्षता में नेशनल वाटर मिशन के राज्य आधारित एक्शन प्लान पर स्टीयरिंग कमेटी की बैठक हुई. इसमें पानी की बर्बादी रोकने और जल संरक्षण पर जोर दिया गया. मुख्य सचिव ने कहा कि जल संरक्षण के लिए अभिनव तरीके अपनाएं. सरकार इसके लिए एक्शन प्लान बना रही है, ताकि पानी की बर्बादी रोककर और जल संरक्षण कर समाधान निकाला जा सके.
Water Crisis In Jharkhand: रांची-झारखंड की मुख्य सचिव अलका तिवारी ने जल संरक्षण के क्षेत्र में अभिनव तरीके अपनाने पर बल देते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे समन्वय बना कर इस दिशा में आगे बढ़ें. झारखंड में जल संसाधन के क्षेत्र में हुए अध्ययन और आंकड़े के परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कहा कि राज्य में पर्याप्त बारिश होती है, लेकिन हम उसे पूरी तरह रोक नहीं पा रहे हैं. ज्यादा से ज्यादा जल का संरक्षण कैसे हो, इस दिशा में हमारा फोकस होना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश के कई भागों में जल संकट चुनौती बनकर खड़ी हो चुकी है. झारखंड में अभी यह स्थिति नहीं है, लेकिन बढ़ती जनसंख्या और क्लाइमेट चेंज के दौर में झारखंड में भी यह स्थिति धीरे-धीरे बन सकती है. इसलिए अभी से सचेत होकर इस दिशा में सार्थक पहल करने की जरूरत है. वह शुक्रवार को नेशनल वाटर मिशन के तहत राज्य आधारित एक्शन प्लान पर स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में बोल रही थीं.
जल संरक्षण पर करें फोकस-मुख्य सचिव
मुख्य सचिव अलका तिवारी ने कहा कि झारखंड में नेशनल वाटर मिशन के लिए जुटाए जा रहे पानी की खपत के आंकड़े जल संरक्षण और उसके प्रबंधन में हमारी काफी मदद करेंगे. उन्होंने कहा कि पानी की किल्लत वाले देश इजराइल और साइप्रस किस तरीके और तकनीक के साथ इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, इस पर भी हमें ध्यान देना चाहिए. बैठक के दौरान बताया गया कि टाटा और बोकारो स्टील जैसी बड़ी कंपनियों को राज्य सरकार पानी की सप्लाई करती है. इसलिए इसके आंकड़े हैं और उनसे करोड़ों रुपए टैक्स भी मिलता है, लेकिन जो उद्योग भूगर्भ जल का उपयोग करते हैं, उसका डेटा नहीं मिल पाता. भूगर्भ जल संरक्षण के लिए जल्द ही एक्शन प्लान लाने की तैयारी चल रही है.
सीयूजे तैयार कर रही डाटा
भारत सरकार के नेशनल वाटर मिशन का मुख्य मकसद जल संरक्षण के साथ पानी की बर्बादी को कम से कम करना है. साथ ही मिशन का उद्देश्य राज्यों के समन्वित जल संसाधन, उसके विकास और प्रबंधन के द्वारा पानी का सामान वितरण सुनिश्चित करना है. चूंकि हर राज्य का जल संसाधन अलग-अलग है, इसलिए राज्य आधारित एक्शन प्लान बनाया जा रहा है. स्टेट स्पेसिफिक एक्शन प्लान के लिए झारखंड सरकार के जल संसाधन विभाग ने झारखंड सेंट्रल यूनिवर्सिटी के साथ एमओयू किया है. यूनिवर्सिटी विभिन्न विभागों से समन्वय कर झारखंड के जल संसाधन का डाटा तैयार कर रही है.
जल संरक्षण का अवसर भी है और चुनौतियां भी-सीयूजे
सीयूजे के अभी तक के अध्ययन और आंकड़े के अनुसार झारखंड में जल संरक्षण को लेकर अवसर और चुनौतियां दोनों हैं. अव्वल तो सबसे बड़ा अवसर यह है कि राज्य में प्रचुर मात्रा में जल संसाधन है. पानी को रोकने के लिए स्ट्रक्चर निर्माण की जरूरत है. राज्य सरकार जल संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन हर संबंधित पक्ष को इस दिशा में जागरूक करने की भी जरूरत है. दूसरी ओर झारखंड में क्लाइमेट चेंज और बढ़ती जनसंख्या से जल संकट चुनौती के रूप में सामने आ रहा है. राज्य की जल संरचना पुरानी पड़ती जा रही हैं, जिसमें निवेश और नवीकरण की जरूरत है. राज्य में जल का उपभोग करनेवाले विभिन्न तरह के उपभोक्ताओं और सरकारी एजेंसी में तालमेल की कमी है. झारखंड बाढ़ और सूखे की दोहरी मार झेलता है. राज्य में बड़ी आबादी को शुद्ध जल नहीं मिल पाता है.
बैठक में ये थे मौजूद
मुख्य सचिव अलका तिवारी की अध्यक्षता में संपन्न बैठक में नगर विकास के प्रधान सचिव सुनील कुमार, जल संसाधन सचिव प्रशांत कुमार, कृषि सचिव अबु बक्कर सिद्दीख, नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधि डॉ अजय समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे.
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