नशे का प्रसार पीढ़ियों को कर रहा बर्बाद, इसका प्रभाव चिंताजनक : झारखंड हाइकोर्ट

हाइकोर्ट ने कहा गृह सचिव, डीजीपी, डीजी सीआइडी व एनसीबी को हलफनामा दायर करने को कहा और कहा कि बतायें कैसे रोकेंगे अफीम की खेती व नशा के व्यापार को.

By Prabhat Khabar | April 28, 2024 1:15 PM

रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने खूंटी जिला में अफीम की खेती में खतरनाक वृद्धि को गंभीरता से लेते हुए स्वत: संज्ञान लिया तथा समाज व अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव पर गहरी चिंता व्यक्त की. एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि नशे का प्रसार पीढ़ियों को बर्बाद कर रहा है. समाज व अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव काफी चिंताजनक हैं. किसी भी समाज के लिए मादक पदार्थों व मनोविकार नाशक पदार्थों का प्रयोग घातक है. समाज में नशे का प्रसार पीढ़ियों को बर्बाद कर देता है. कहा जाता है कि नशा दीमक की तरह काम करता है, जो समाज और देश की युवा शक्ति को खोखला कर देता है.

कोर्ट ने दी चेतावनी

खंडपीठ ने कहा कि विश्लेषण से पता चलेगा कि अवैध नशीली दवाओं और धन शोधन के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव के गंभीर परिणाम होंगे, जो आपराधिक गतिविधियों को और बढ़ावा दे सकते हैं. ऐसे सभी प्रभाव देश के निवेश व आर्थिक विकास को बाधित करेंगे. इस तरह की स्थिति में नशीली दवाओं के उपयोग, उत्पादन व तस्करी से निपटने के लिए बहुआयामी रणनीति का होना अतिआवश्यक है. नशा मुक्त समाज के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए इसलिए यह आवश्यक है कि केंद्रीय एजेंसी, राज्य पुलिस विशेष रूप से राज्य खुफिया पुलिस के साथ समन्वय स्थापित कर काम करें.

खूंटी एसपी ने इस वर्ष 1400 एकड़ की खेती की नष्ट

खंडपीठ ने कहा कि खूंटी के एसपी ने कोर्ट के समक्ष स्वीकार किया है कि पिछले वर्ष उन्होंने लगभग 2200 एकड़ में अफीम की खेती को नष्ट किया और इस वर्ष भी उन्होंने लगभग 1400 एकड़ में अफीम की खेती को नष्ट किया है, लेकिन मौजूदा पुलिस बल इस मामले से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है. खंडपीठ ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वर्ष 2006-2013 के बीच देश भर में कुल 1257 मामले दर्ज किये गये थे, जो अब 152 प्रतिशत बढ़ कर 3172 हो गये हैं. 2014-2022 के बीच अवैध मादक पदार्थों की जब्ती बढ़ कर 3.30 लाख किलोग्राम हो गयी, जिसकी कुल कीमत 20,000 करोड़ रुपये होगी. खंडपीठ ने गृह सचिव, डीजीपी, डीजी सीआइडी व एनसीबी को हलफनामा दायर कर यह बताने का निर्देश दिया कि अफीम की खेती व नशा के व्यापार को कैसे रोकेंगे. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने सात मई की तिथि निर्धारित की. उल्लेखनीय है कि जस्टिस राजेश कुमार की अदालत ने एक जमानत के मामले में सुनवाई के दाैरान खूंटी में हो रहे बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की जानकारी सामने आने पर उस पर स्वत: संज्ञान लिया था.

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