औलाद ने दिया दगा, जिंदगी भी रूठ गयी, दिव्यांग बुजुर्ग की मौत, चार दिन तक शव के साथ कमरे में बंद रही पत्नी

भगवान शर्मा की मौत करीब चार दिन पहले हो चुकी थी, लेकिन इसकी जानकारी शुक्रवार को तब हुई, जब मृत शरीर की दुर्गंध कमरे से बाहर निकलने लगी. मकान मालिक ने कमरे में जाकर देखा, तो स्व शर्मा का शव बेड पर पड़ा हुआ था.

By Prabhat Khabar | September 5, 2020 6:20 AM

नामकुम : भगवान शर्मा की मौत करीब चार दिन पहले हो चुकी थी, लेकिन इसकी जानकारी शुक्रवार को तब हुई, जब मृत शरीर की दुर्गंध कमरे से बाहर निकलने लगी. मकान मालिक ने कमरे में जाकर देखा, तो स्व शर्मा का शव बेड पर पड़ा हुआ था. वहीं उनकी पत्नी बीगन देवी बगल में लेटी हुई थीं. बेटों की करतूत और पति की बीमारी से वह अपना मानसिक संतुलन खो चुकी हैं. उन्हें यह भी पता नहीं चला कि उनके पति अब इस दुनिया में नहीं हैं. मकान मालिक से मिली सूचना पर स्व शर्मा के दोनों बेटे रवींद्र शर्मा व मनिंदर शर्मा मौके पर पहुंचे.

दोनों ने पिता का अंतिम संस्कार स्वर्णरेखा नदी घाट पर किया. जानकारी के अनुसार, बड़ा बेटा मां को अपने साथ ले गया है. जाननेवाले लोग बताते हैं िक जिन बच्चों की परवरिश में पूरी जिंदगी खपा दी, उन्हीं को बूढ़े मां-बाप बोझ लगने लगे. बच्चों ने इस बोझ को सिर से उतार फेंका. धोखे से संपत्ति अपने नाम करायी और बूढ़े मां-बाप को घर से बाहर निकाल दिया.

बुजुर्ग दंपती ने अपने हक के लिए थाने के चक्कर लगाये, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. आखिरकार दिव्यांग पिता की मौत हो गयी, जबकि मां मानसिक संतुलन खो चुकी है. यह कहानी लोअर चुटिया स्थित शास्त्री मैदान के पास किराये के मकान में रहनेवाले 80 वर्षीय दिव्यांग भगवान शर्मा और उनकी पत्नी की है.

  • दोनों बेटों ने धोखे से बेच दिया था जमीन और घर, मां-बाप को घर से निकाला

  • थाने का चक्कर लगाता रहा बुजुर्ग दंपती, लेकिन पुलिस से भी नहीं मिली मदद

  • किराये के मकान में रह रहे थे वृद्ध दंपती, मरने के बाद अंतिम संस्कार के लिए पहुंचे बेटे

बीमारी के कारण काटना पड़ा एक पैर : भगवान शर्मा लोवाडीह हाइटेंशन फैक्ट्री से रिटायर हुए थे. रिटायरमेंट के पैसों से उन्होंने एक जमीन खरीद कर घर बनाया और दोनों बेटों के लिए फेब्रिकेशन का व्यवसाय शुरू किया. दोनों बेटों की शादी भी करायी. इसके बाद वे पत्नी को लेकर कुछ दिनों के लिए गांव चले गये थे. वहां किसी बीमारी के कारण उनका दायां पैर काटना पड़ा. वे गांव से रांची लौटे. उम्मीद थी कि दोनों बेटे बुढ़ापे का सहारा बनेंगे.

लेकिन यहां पता चला कि बेटों ने उनकी खरीदी जमीन और घर बेच कर दूसरी जगह घर बना लिया है. यही नहीं , बेटों ने बुजुर्ग मां-बाप को घर से भी निकाल दिया. उसके बाद से ही बुजुर्ग दंपती किराये के मकान में रहने लगे. अपने अधिकार व न्याय के लिए कई बार थाना पुलिस का सहारा भी लिया, लेकिन हर जगह निराशा मिली. इस मामले में नामकुम पुलिस ने बताया कि उन्हें घटना की जानकारी नहीं है.

Post by : Pritish Sahay

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