Sarna dharam code news : सरना धर्म काेड पर चढ़ा सियासी पारा, घेराबंदी में जुटे पक्ष-विपक्ष

यूपीए ने केंद्र सरकार के साथ भाजपा को घेरने की रणनीति बनायी

By Prabhat Khabar | December 1, 2020 4:28 AM

रांची : सरना धर्म कोड को लेकर प्रदेश की राजनीति का सियासी पारा चढ़ रहा है. राजनीति का प्लॉट तैयार हो रहा है. हेमंत सोरेन सरकार ने विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर दिया है. मामला अब केंद्र सरकार को देखना है़ राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को प्रस्ताव जाना है. इधर पक्ष-विपक्ष एक दूसरे की घेराबंदी में जुटे है़ं

यूपीए ने केंद्र सरकार के साथ-साथ भाजपा को घेरने की रणनीति बनायी है़ झामुमो इस मामले को दिल्ली तक लेकर जायेगी. भाजपा के सहयोगी जदयू भी सवाल पूछ रहा है़ कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने सभी 12 सांसदों को पत्र लिख कर सरना धर्म कोड की मांग करने को कहा है़ भाजपा भी यूपीए को घेरने की रणनीति बना रही है़

धर्म कोड पर दिल्ली से रांची तक भाजपा में हो रहा मंथन

भाजपा भी सरना धर्म कोड के मुद्दे पर रास्ता निकालने में जुटी है़ केंद्रीय नेतृत्व मामले को लेकर प्रदेश के नेताओं के साथ संपर्क में है़ पिछले दिनों विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश सहित प्रदेश के दूसरे नेताओं ने आलाकमान के साथ इस मामले पर चर्चा की है़.

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, सांसद व भाजपा के एसटी मोरचा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समीर उरांव सहित दूसरे आदिवासियों के नेताओं के साथ भी संगठन के स्तर पर इस मुद्दे पर बात हुई है़ भाजपा इस मामले को लेकर बहुत हड़बड़ी में नहीं है़ इसके सारे पहलुओं को तौल रही है़ सूचना के मुताबिक इस मुद्दे को लेकर आरएसएस के अंदर भी मंथन चल रहा है़ आदिवासी इलाकों से जानकारी जुटायी जा रही है़

मुद्दे पर मुखर रही है जदयू

राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए फोल्डर में जदयू भाजपा के साथ है. वहीं झारखंड जदयू इस मुद्दे को भाजपा से अलग अकेले लेकर चल रहा है. जदयू भाजपा पर लगातार दबाव बना रही है. सालखन मुर्मू ने इस मामले को लेकर सड़क पर उतरने का एलान किया है. यूपीए इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रहा है, वहीं भाजपा को जदयू को इस मुद्दे पर साथ चलने की चुनौती होगी़

हिल गये हैं आरएसएस और उससे जुड़े संगठन: गीताश्री

अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि आदिवासियों के अलग धर्म कोड की मांग से आरएसएस और उससे संबंधित संगठन हिल चुके हैं. उन्हें लग रहा है कि इससे इस देश को हिंदू राष्ट्र बनाने का उनका सपना धरा का धरा रह जायेगा.

इसके साथ ही उन्होंने सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव झारखंड विधानसभा से पारित होकर केंद्र सरकार को भेजने का विरोध करने वाले संगठनों पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि 29 नवंबर को संवाददाता सम्मेलन कर विरोध जताने वाले संगठन आरएसएस और भाजपा द्वारा समर्थित हैं.

वे कभी नहीं चाहते कि आदिवासियों को राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान मिले. इसलिए ये संगठन कभी भी आदिवासियों के अलग धर्म कोड की लड़ाई में शामिल नहीं हुए. वे सभी हिंदू धर्म से ज्यादा प्रभावित हैं और हिंदू संंगठनों के इशारों पर चलते हैं.

भाजपा पर धर्म कोड के विरोधी होने का ठप्पा लगा, तो बंगाल- असम के चुनाव में हो सकता है असर: सालखन मुर्मू

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा है कि सरना धर्म कोड पर भाजपा अपना स्टैंड जल्द साफ करे, अन्यथा उस पर सरना धर्म कोड विरोधी का ठप्पा लगना तय है. इसका दूरगामी राजनीतिक प्रभाव बंगाल और असम के चुनाव में भी पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि 2021 की जनगणना में सरना धर्म कोड की मान्यता के साथ शामिल होना भारत के प्रकृति पूजक आदिवासियों का मौलिक अधिकार है.

अधिकांश आदिवासी हिंदू, मुसलमान, ईसाई आदि नहीं है. यह अच्छी बात है कि कांग्रेस, झामुमो व जदयू पार्टी ने इसके समर्थन में अपने स्टैंड साफ कर दिया है, पर दुर्भाग्य से भाजपा समर्थित कुछ संगठन और विचारक आदिवासी को वनवासी और हिंदू बनाने तुले हैं. यह गलत है. सरना धर्म कोड की मांग करने वाले संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत इसकी प्राप्ति के हकदार हैं. इसलिए आदिवासी को बरगलाने, डराने और भटकाने की कोई कोशिश करना संविधान विरोधी है. सरना धर्म कोड के लिए एक दिसंबर और छह दिसंबर के आंदोलन में जदयू पूरा सहयोग करेगा.

posted by : sameer oraon

Next Article

Exit mobile version