रांची : नगर विकास विभाग में जाकर डंप हो जाती हैं निगम की योजनाएं

अवैध भवनों को रेगुलराइज करने के लिए नगर निगम बोर्ड ने दो बार सरकार को प्रस्ताव भेजा. इसके तहत जो मकान जिस हाल में हैं, उसे उसी हाल में रेगुलराइज किये जाने की मांग की गयी है

By Prabhat Khabar | December 20, 2023 6:00 AM

रांची : राजधानीवासियों को बेहतर नागरिक सुविधा मिले, इसके लिए समय-समय पर योजनाएं बनायी जाती हैं. वहीं, योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए सरकार के पास अनुमोदन के लिए भेजा जाता है. लेकिन, जनहित की ये योजनाएं नगर विकास विभाग में जाकर डंप हो जाती हैं. नतीजा ये योजनाएं फाइलों से कभी बाहर ही नहीं निकल पाती हैं. जबकि, योजनाओं के धरातल पर उतरने से शहर के लोगों को इसका लाभ मिलता. लेकिन, राजधानी में ऐसा होता नहीं दिख रहा है.

भवनों के रेगुलराइज का प्रस्ताव : 

अवैध भवनों को रेगुलराइज करने के लिए नगर निगम बोर्ड ने दो बार सरकार को प्रस्ताव भेजा. इसके तहत जो मकान जिस हाल में हैं, उसे उसी हाल में रेगुलराइज किये जाने की मांग की गयी है. लेकिन, आज तक निगम के प्रस्ताव पर सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है. नतीजा आज भी अवैध मकान कहकर कई मकानों को नोटिस जारी किया जा रहा है. वहीं, ऐसे भवन मालिकों को हमेशा घर टूटने का भय सताता रहता है.

लॉज-हॉस्टल व बैंक्वेट हाल के लिए नक्शा की बाध्यता समाप्त करना : 

शहर में लॉज व हॉस्टल की संख्या 10 हजार से अधिक है. इसके लिए शर्त रखी गयी है कि जिन भवनों के पास नक्शा होगा, उसे ही नगर निगम लाइसेंस जारी करेगा. इस शर्त में बदलाव को लेकर भी विभाग के पास प्रस्ताव भेजा गया है. लेकिन, विभाग ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया.

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जार वाटर के लिए नियम बनाना : 

शहर के गली-मोहल्ले में खुल रहे जार वाटर प्लांट पर रोक लगाने के लिए भी निगम ने विभाग को प्रस्ताव भेजा है. इसमें यह शर्त रखी गयी थी कि भीड़-भाड़ वाले इलाके में ऐसे प्लांटों के खुलने पर रोक लगायी जाये, ताकि भूमिगत जलस्तर बना रहे. वहीं, सभी ऐसे प्लांटों में वाटर मीटर लगाया जायें, ताकि यह पता चल सके कि मासिक कितना लीटर पानी का उपभोग हो रहा है. लेकिन, इस प्रस्ताव पर भी कोई कदम नहीं उठाया गया. नतीजा आज गली-मोहल्ले में धड़ल्ले से जार वाटर प्लांट खुल रहे हैं.

एनजीओ से पार्कों का संचालन कराने का प्रस्ताव :

वर्ष 2021 में सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था कि नयी दिल्ली की तर्ज पर शहर के पार्कों का संचालन एनजीओ के माध्यम से कराया जाये. इसके लिए संचालन करने वाली एनजीओ को प्रोत्साहन राशि दी जाये. इसके बाद एनजीओ वाले अपने फंड से इस पार्क की देखरेख करेंगे. लेकिन, इस प्रस्ताव पर भी कोई फैसला नहीं लिया गया.

स्मार्ट हाउस को टैक्स में 50 प्रतिशत की छूट देना : 

वर्ष 2016-17 में नगर निगम ने स्मार्ट हाउस का प्रस्ताव पास कर विभाग को भेजा था. इसके तहत शहर के ऐसे घर जहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम व सोलर सिस्टम लगा हो. वहीं, हरियाली के लिए चार पेड़ लगे हों, ऐसे भवनों को स्मार्ट हाउस मानकर इन्हें होल्डिंग टैक्स में 50 प्रतिशत की छूट दी जाये. लेकिन, अब तक इस प्रस्ताव पर भी विभाग ने कोई फैसला नहीं लिया.

कचरा यूजर चार्ज कम करने का प्रस्ताव भी अधर में : 

वर्ष 2018 में कचरा यूजर चार्ज कम करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया था. इसके तहत हर घर के लिए निर्धारित 80 रुपये की जगह 50 रुपये व व्यवसायिक दुकानों से भी कम दर वसूलने का प्रस्ताव भेजा गया था. लेकिन, अब तक इस पर भी कोई फैसला नहीं हुआ.

शहर के जनता को कैसे राहत मिले. इसके लिए पिछले कुछ सालों में दर्जनों प्रस्ताव सरकार को भेजे गये. अगर ये धरातल पर उतरते तो इसका फायदा शहर के हर एक नागरिक को मिलता. लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब तक इन प्रस्तावों पर सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया.

संजीव विजयवर्गीय, निवर्तमान उप महापौर

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