दो एजेंसियों से बन रही झारखंड की ग्रामीण सड़कें, पर जांच एक की ही, गुणवत्ता पर लगातार उठ रहे हैं सवाल

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से ग्रामीण इलाकों में जो सड़कें बन रही है, उसमें केंद्र सरकार का 60 प्रतिशत और राज्य सरकार का 40 प्रतिशत पैसा लगता है. दोनों के सहयोग से सड़कें बन रही है

By Prabhat Khabar | March 30, 2023 4:10 AM

राज्य में दो एजेंसियों के माध्यम से ग्रामीण सड़कों का निर्माण हो रहा है. उसमें से एक एजेंसी के माध्यम से बनी सड़कों की तीन स्तरों पर जांच का प्रावधान किया गया है, जबकि दूसरी एजेंसी से बनी सड़कों की जांच की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसी सड़कों की जांच की जिम्मेवारी सामान्य रूप से कार्य प्रमंडलों के ऊपर है. दोनों एजेंसी से बनने वाली सड़कों पर राशि खर्च हो रही है, पर एक की ही जांच और दूसरी को छूट देने को लेकर सवाल खड़ा हो रहा है.

साथ ही इसका असर गुणवत्ता पर भी पड़ रहा है. जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से ग्रामीण इलाकों में जो सड़कें बन रही है, उसमें केंद्र सरकार का 60 प्रतिशत और राज्य सरकार का 40 प्रतिशत पैसा ल गता है. दोनों के सहयोग से सड़कें बन रही है. इससे बनी सड़कों की जांच के बाद ही उसे क्लीन चिट मिलती है, लेकिन राज्य के शत प्रतिशत राशि से बनने वाली राज्य संपोषित योजना की सड़कों की जांच को अनिवार्य नहीं किया गया है.

इसमें कुछ गड़बड़ियों की बातें सामने आती है, तब जांच करायी जाती है. सामान्य तौर पर रुटीन जांच नहीं होती है. ग्रामीण सड़कों के विशेषज्ञों का कहना है कि पीएमजीएसवाइ में चूंकि 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार की समाहित है, इसलिए तीन स्तर पर रुटीन जांच हो रही है. इससे इसकी गुणवत्ता ठीक भी होती है, पर राज्य के मद से बनी सड़कों की गुणवत्ता पर लगातार सवाल भी खड़े होते हैं.

क्या है जांच की व्यवस्था

पीएमजीएसवाइ की सड़कों की जांच के लिए सूची तैयार होती है. इस काम से जुड़े राज्य के इंजीनियर पहले इसकी जांच करते हैं. फिर राज्य के स्तर पर बनी स्टेट क्वालिटी मॉनिटर (एसक्यूएम) की ओर से जांच कराने का प्रावधान है. इसके बाद नेशनल क्वालिटी मॉनिटर (एनक्यूएम) इसकी जांच करता है. एनक्यूएम इसकी जांच कर रिपोर्ट सीधे भारत सरकार को देता है. गड़बड़ियां होने पर सुधार भी करायी जाती है. वहीं राज्य की राशि से बननेवाली सड़कों की जांच ठीक से नहीं हो रही है.

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