सिद्ध मंत्र के जपने से ही मिलेगी मानसिक शांति : आचार्य वंदनानंद
आनंद मार्गियों का धर्म महासम्मेलन तीसरे दिन की शुरुआत भजन, कीर्तन और साधना से शुरू हुई.
प्रतिनिधि, रातू.
आनंद मार्गियों का धर्म महासम्मेलन तीसरे दिन की शुरुआत भजन, कीर्तन और साधना से शुरू हुई. सुबह 24 घंटे से चल रहे ”बाबा नाम केवलम” कीर्तन का समापन हुआ. आचार्य वंदनानंद अवधूत ने साधकों और साधिकाओं से कहा कि बाबा ने जनकल्याण के लिए यह अष्टाक्षरी सिद्ध मंत्र दिया है. इसके जपने मात्र से लोगों को मानसिक शांति मिलेगी. बाबा ने केवल धार्मिक संदेश ही नहीं दिया, वरन् जनता-जनार्दन को शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए प्रगतिशील उपयोग तत्व (प्रउत) नामक एक नवीन सामाजिक-आर्थिक दर्शन भी दिया. कहा कि मनुष्य की धार्मिक प्रगति के साथ उसकी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए नवीन आर्थिक विचारधारा देने का यह पहला प्रयास है, जिसके कारण बाबा को समाज के भ्रष्ट लोगों का भयानक विरोध सहना पड़ा. द्वितीय सत्र दोपहर में श्री श्री आनंदमूर्ति के प्रवचन की वीडियो क्लिप दिखायी गयी. जिसमें बाबा ने धर्म को पूरी तरह आंतरिक प्रक्रिया कहा. कहा कि परम पुरुष की अनुभूति करना ही धर्म का मूल मंत्र है. इसलिए हर एक मनुष्य को धर्म साधना करनी ही होगी. आनंद मार्गियों ने दोपहर में शोभायात्रा निकाली. जो हाजी चौक से होते हुए काठीटांड़ चौक और तिलता चौक से वापस कार्यक्रम स्थल पहुंची. शोभायात्रा में अवधूत, अवधूतिकाओं के अतिरिक्त विभिन्न राज्यों के मार्गी शामिल हुए.आनंद मार्गियों का तीन दिवसीय धर्म महासम्मेलन संपन्नB
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