Jharkhand News: झारखंड के फॉरेस्ट सॉयल हेल्थ कार्ड के विमोचन पर क्या बोले पीसीसीएफ संजय श्रीवास्तव

रांची के ललगुटवा स्थित वन उत्पादकता संस्थान में फॉरेस्ट सॉयल हेल्थ कार्ड ऑफ झारखंड का विमोचन किया गया. झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजय श्रीवास्तव समेत अन्य अतिथियों ने इसे रिलीज किया. इस मौके पर कई अतिथि मौजूद थे.

By Guru Swarup Mishra | December 2, 2022 2:29 PM

रांची : झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजय श्रीवास्तव ने कहा कि देश का पहला राज्य है झारखंड, जहां फॉरेस्ट सॉयल हेल्थ कार्ड (वन मृदा स्वास्थ्य कार्ड) का विमोचन किया गया. कई चुनौतियों के बीच ये पहल सराहनीय है. उन्होंने मिट्टी की महत्ता व वृक्षारोपण पर जोर दिया. शुक्रवार को वे रांची के ललगुटवा स्थित वन उत्पादकता संस्थान में फॉरेस्ट सॉयल हेल्थ कार्ड ऑफ झारखंड के विमोचन के मौके पर संबोधित कर रहे थे. इस मौके पर झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) कुलवंत सिंह, युगेश्वर मिश्रा समेत अन्य मौजूद थे.

हेल्थ कार्ड जारी करने वाला देश का पहला राज्य झारखंड

रांची के वन उत्पादकता संस्थान के निदेशक डॉ नितिन कुलकर्णी ने कहा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की स्वीकृति के बाद देहरादून की भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद द्वारा वन मृदा स्वास्थ्य कार्ड का कार्य शुरू किया गया था. रांची के वन उत्पादकता संस्थान को झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के लिए वन मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार करने का कार्य सौंपा गया था. कोरोना के बावजूद तय समय सीमा में ये कार्य पूरा किया गया. राज्य के 1311 स्थानों की 16670 मिट्टी के नमूनों को एकत्र किया गया. इसके बाद उसका विश्लेषण किया गया.

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कई जगहों से मिट्टी का सैंपल लेकर किया गया विश्लेषण

देहरादून के वन अनुसंधान केंद्र के राष्ट्रीय परियोजना समन्वयक डॉ विजेंदर पाल पवार ने कहा कि कई जगहों से मिट्टियों का सैंपल लेकर जांच की गयी है. इसके बाद उनका विश्लेषण किया गया है. वन मृदा स्वास्थ्य कार्ड के निर्माण का मुख्य उद्देश्य मिट्टी की उर्वरता संबंधी परेशानियों का निदान करना है. इसका लाभ वनों के किनारे रहने वाले ग्रामीणों को मिलेगा. इस अवसर पर वन उत्पादकता संस्थान के प्रधान अन्वेषक डॉ शंभुनाथ मिश्रा ने कहा कि जीआईएस और रिमोट सेंसिंग की मदद से झारखंड के 31 प्रादेशिक वन प्रमंडलों से 1311 स्थानों से मिट्टी के नमूनों को एकत्र किया गया. इसके बाद संस्थान की प्रयोगशाला में 16670 मृदा का विश्लेषण किया गया.

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