Natural Farming: झारखंड में प्राकृतिक खेती से बदलेगी किसानों की तकदीर, 11 हजार कृषकों को मिलेगी ट्रेनिंग

Natural Farming: झारखंड सरकार ने राज्य में नेचुरल फार्मिंग यानी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कदम बढ़ाये हैं. राज्य के 12 जिलों में 4400 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती करायी जायेगी. इसके लिए 11 हजार किसानों को ट्रेनिंग दी जायेगी.

By Rupali Das | May 26, 2025 2:58 PM

Natural Farming: झारखंड के 12 जिलों में लगभग 4400 हेक्टेयर में किसानों से प्राकृतिक खेती (नेचुरल फार्मिंग) करायी जायेगी. कृषि विभाग की एजेंसी ओफाज के माध्यम से यह काम कराया जायेगा, जिससे राज्यभर के 11 हजार किसानों को जोड़ा जायेगा. जानकारी के अनुसार, पिछले बजट में केंद्र सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की ऐलान किया था, जिसमें सभी राज्यों को सहयोग किया जा रहा है. इसी के तहत राज्य के 12 जिलों में कुल 88 क्लस्टर का निर्माण होगा. इन जिलों में साहिबगंज, दुमका, देवघर, गिरिडीह, हजारीबाग, रांची, लोहरदगा, गुमला, पश्चिम सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, गढ़वा और पलामू शामिल हैं.

किस आधार पर किया गया चयन

बता दें कि इन जिलों का चयन नदी किनारे के आधार पर किया गया है. वैसे क्लस्टर को प्राथमिकता दी जायेगी, जहां पहले ऑर्गेनिक खेती हुई हो. मालूम हो कि प्राकृतिक खेती ऑर्गेनिक खेती से कुछ अलग है. इसमें खेती करते समय प्राकृतिक उपज वाली चीजों का ही उपयोग खाद या कीटनाशक के रूप में किया जाता है. इस खेती से जुड़े किसानों को खाद और कीटनाशक बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है.

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कृषि सखी की होगी अहम भूमिका

प्राकृतिक खेती में कृषि सखी की महत्वपूर्ण भूमिका होगी, उनको प्रशिक्षित किया जायेगा. दो कृषि सखी 125 किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए तैयार करेंगी. खेती के लिए कम से कम 50 हेक्टेयर एरिया होना चाहिए. कृषि सखी प्रखंड स्तरीय कमेटी के साथ मिलकर स्वयं सहायता समूह, आंगनबाड़ी और ग्रामसभा की बैठक आयोजित करेगी. इन सभी को प्राकृतिक खेती और इसके फायदे के बारे में बताया जायेगा. इसमें सरकार से मिलने वाले सहयोग के बारे में भी जानकारी दी जायेगी.

कौन होगी कृषि सखी

जानकारी हो कि वैसी महिलाओं को केवल कृषि सखी बनाया जायेगा, जिनके पास कम से कम एक साल प्राकृतिक खेती का अनुभव है. साथ ही जिस क्षेत्र के लिए कृषि सखी का चुनाव होगा, वह उसी क्लस्टर की रहने वाली होगी. इसके अलावा कृषि सखी को स्थायी भाषा में बात करना और लिखना-पढ़ना आना चाहिये.

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प्रदान संस्था करेगी सहयोग

प्रदान संस्था को राज्य स्तर पर इस काम को सहयोग करने की जिम्मेदारी मिली है. बताया गया कि ओफाज के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ने प्रदान को पत्र लिखकर उसके अनुभव का लाभ लेने की बात कही है. मालूम हो कि प्रदान संस्था पिछले पांच साल से जैविक खेती का प्रचार-प्रसार कर रही है. इस कारण संस्था से जिला उद्यान पदाधिकारी के साथ संपर्क कर योजना को गति देने का आग्रह किया गया है. संस्था ने कई जिलों में क्लस्टर बनाने का काम शुरू भी कर दिया है.

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