झारखंड की 5 नेशनल कॉरिडोर की परियोजनाएं फंसी, CM हेमंत ने दिया प्रोजेक्ट जल्द पूरा करने का निर्देश

झारखंड में एनएचएआइ की पांच नेशनल कॉरिडोर परियोजनाएं कहीं जमीन के कारण, तो कहीं फॉरेस्ट क्लीयरेंस के कारण लंबित हैं. हेमंत सोरेन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए काम में तेजी लाने का निर्देश दिया.

By Sameer Oraon | September 26, 2022 7:05 AM

रांची: किसी भी राज्य के विकास के लिए अच्छी सड़कों का होना अति आवश्यक है. परिवहन सुविधा सुव्यवस्थित होने से सरकार के राजस्व में वृद्धि होती है, वहीं आम लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता है. दूसरी ओर झारखंड में एनएचएआइ की पांच नेशनल कॉरिडोर परियोजनाएं कहीं जमीन के कारण, तो कहीं फॉरेस्ट क्लीयरेंस के कारण लंबित हैं.

सीएम हेमंत सोरेन के समक्ष इस मामले को लेकर प्रजेंटेशन दिया गया. उन्होंने मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल संबंधित अधिकारियों को इस दिशा में तेजी से काम करने का निर्देश दिया, ताकि सड़क की परियोजनाएं पूरी हो सकें. ये सभी सड़कें आर्थिक गतिविधि को ध्यान में रखते हुए बनायी जा रही हैं.

रायपुर –

धनबाद इकोनॉमिक कॉरिडोर : झारखंड में 236.30 किमी लंबी सड़क सात पैकेज में बननी है. तीन पैकेज का काम पूरा हो चुका है. जैनामोड़ बोकारो से गोला (32.50 किमी) के बीच मुअावजा राशि का वितरण लंबित है. गोला से ओरमांझी(27.8किमी) के लिए भी मुआवजा राशि का वितरण लंबित है. पलमा से गुमला(63किमी) में गुमला के 15 किमी और रांची के 12 किमी में काम फॉरेस्ट क्लीयरेंस व भूमि के कारण लंबित है.

वाराणसी-रांची धनबाद इकोनॉमिक कॉरिडोर :

झारखंड में 256.63 किमी सड़क नौ पैकेज में बननी है. इसमें विंधमगंज से खजूरी (41.06 किमी), खजूरी से संखा (22.73 किमी), कुड़ू से बीजूपाड़ा (21 किमी) का काम मुआवजा वितरण व फॉरेस्ट क्लीयरेंस के कारण लंबित है. वहीं इसी कॉरिडोर में रांची के रातू रोड में बना फोर लेन एलीवेटेड कॉरिडोर भी आता है. इसमें दो रैंप के लिए अतिरिक्त जमीन की जरूरत है तथा डॉ जाकिर हुसैन पार्क के 0.0625 एकड़ जमीन नगर विकास विभाग से हस्तांतरित होनी है.

रांची-पटना इकोनॉमिक कॉरिडोर :

झारखंड में 162.87 किमी सड़क पांच पैकेज में बननी है, जिसमें दो पैकेज बन चुके हैं. एक पैकेज-4 डीपीआर स्टेज में है. पैकेज-तीन पर काम चल रहा है. इसके कुछ हिस्सों का काम लंबित है, जिसमें हजारीबाग व कोडरमा में मुआवजा वितरण नहीं हो सका है.

रांची-जमशेदपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर :

झारखंड में 248.64 किमी सड़क का काम सात पैकेज में होना है. तीन पैकेज दो, तीन व पांच का काम पूरा हो चुका है. छह व सात पैकेज का डीपीआर बन रहा है. पैकेज एक व चार का काम चल रहा है. यहां रांची में मुअावजा वितरण नहीं हो सका है. वहीं रांची-जमशेदपुर सेक्शन में फॉरेस्ट का स्टेज-1 क्लीयरेंस राज्य स्तर पर लंबित है.

दिल्ली-कोलकाता नेशनल कॉरिडोर :

झारखंड में 151.61 किमी सड़क तीन पैकेज में बननी है. पैकेज दो व तीन का काम पूरा हो चुका है और एक पैकेज पर काम चल रहा है. डीवीसी के साथ जमीन का कुछ मुद्दा लंबित है. वहीं हजारीबाग में मुआवजा वितरण का काम भी लंबित है.

184 करोड़ रुपये में फोरलेन बनेगा नामकुम-अनगड़ा मार्ग

नामकुम से टाटीसिल्वे होते हुए अनगड़ा तक की सड़क 184 करोड़ रुपये की लागत में फोरलेन बनायी जायेगी. इसकी मंजूरी प्राधिकृत समिति से मिल गयी है. इसके पूर्व सड़क मरम्मत की प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन इसी बीच पथ निर्माण विभाग ने फोरलेन सड़क बनाने का निर्णय लिया. अब मंत्रिपरिषद से स्वीकृति कराने के बाद इसके टेंडर की प्रक्रिया शुरू की जायेगी.

चार साल पूर्व योजना बनी, पर काम रह गया लंबित :

इंजीनियरों ने बताया कि चार साल पूर्व इस सड़क को फोरलेन करने की योजना बनी थी. तब इसे बनाने की जिम्मेदारी जेएआरडीसीएल को दी गयी थी, लेकिन जेएआरडीसीएल द्वारा सड़क बनाने पर सहमति नहीं बनी. ऐसे में इसके फोरलेन का काम लंबित रह गया था. फिलहाल, यह सड़क काफी व्यस्त है. इससे होकर सिल्ली होते हुए गाड़ियां पुरुलिया निकलती हैं.

सड़क की स्थिति खराब होने से वाहन चालकों को काफी परेशानी हो रही है. ऐसे में इस सड़क के चौड़ीकरण की बात बार-बार उठ रही थी. दो से तीन बार इसे फोरलेन करने का प्रयास भी किया गया, लेकिन योजना स्वीकृत नहीं हो सकी. ऐसे में इस बार पथ निर्माण विभाग ने इसे स्वीकृत कराया है.

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