ranchi news : गांव-गांव और डगर-डगर खड़े थे कश्मीरी, सबके हाथों में पानी, जूस, नाश्ता व खाना था

मैं पति एमके सिंह और अपने पूरे परिवार के साथ एक हफ्ते के लिए जम्मू-कश्मीर घूमने निकली थी. 22 अप्रैल को हमारी भी योजना दोपहर बाद पहलगाम की उसी घाटी में जाने की थी, जहां वो दर्दनाक घटना हुई.

By Prabhat Khabar News Desk | April 26, 2025 1:18 AM

मैं पति एमके सिंह और अपने पूरे परिवार के साथ एक हफ्ते के लिए जम्मू-कश्मीर घूमने निकली थी. 22 अप्रैल को हमारी भी योजना दोपहर बाद पहलगाम की उसी घाटी में जाने की थी, जहां वो दर्दनाक घटना हुई. बच्चे नीचे एम्युजमेंट पार्क में घूमने गये थे. हम ऊपर खच्चर वाले से बात कर रेट तय कर रहे थे. तभी हमारे कैब ड्राइवर को कोई खबर मिली. वो घबराया हुआ हमारे पास आया और बोला : सर, जल्दी होटल लौट जाइये. ऊपर कुछ हो रहा है. हम फौरन होटल की ओर लौट पड़े. होटल पहुंचने से पहले करीब 10 मिनट के अंदर ही आसमान में हेलीकॉप्टर मंडराने लगे. पुलिस की गाड़ियों के सायरन गूंजने लगे. हमें तब तक नहीं पता था कि क्या हुआ है. होटल पहुंचकर जब टीवी ऑन किया, तो पैरों तले जमीन खिसक गयी. खबर थी कि घाटी में आतंकी हमला हुआ है. पर्यटक मारे गये हैं. होटल में उस रात हम सब सहमे हुए थे.

रास्ते में जो नजारा देखा, वो आंखें नम कर गया

अगले दिन हमने तय कर लिया कि अब कश्मीर से निकलना ही है. बुधवार सुबह छह बजे ड्राइवर को कहा कि हमें जम्मू तक पहुंचा दे. कश्मीर प्रशासन ने एडवाइजरी जारी की थी. बताया गया था कि जो लोग जम्मू जाना चाहते हैं, वे वैकल्पिक रास्ते यानी मुगल रोड से सोपोर-पुलवामा होते हुए जा सकते हैं. यह रास्ता आमतौर पर पर्यटकों के लिए बंद रहता है. लेकिन हालात को देखते हुए इसे खोला गया था. ड्राइवर ने हामी भरी और हम उसी रास्ते पर निकल पड़े. करीब 16 घंटे का सफर तय करना था. रास्ता बहुत सुंदर था, लेकिन उतना ही दुर्गम भी. हम सबके मन में डर तो था, लेकिन रास्ते में जो नजारा देखा, वो आंखें नम कर गया. गांव-गांव में लोग खड़े थे. उनके हाथों में पानी, जूस, नाश्ता और खाना था. वे मुस्कुरा कर हमें दे रहे थे. कह रहे थे : डरिए मत, आप हमारे मेहमान हैं. हर दो-ढाई किलोमीटर पर सुरक्षा जांच हो रही थी. जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान बेहद शालीनता से पूछताछ कर रहे थे. साथ ही यह भी देख रहे थे कि कहीं कोई पर्यटक असहज तो नहीं है. वे खुद भी घटना पर अफसोस जता रहे थे. कह रहे थे कि कश्मीरियों को बदनाम किया जा रहा है. करीब 16 घंटे की यात्रा के बाद हम रात 10 बजे जम्मू पहुंचे. राहत की सांस ली.

मैडम, टायर खराब हो गया…इसलिए ज्यादा पैसे ले रहा हूं

गाड़ी का एक टायर खराब हो गया था. इस कारण ड्राइवर ने तय पैसे से करीब चार हजार रुपये ज्यादा लिये. वो भी मजबूर था. बोला : मैडम, गाड़ी का टायर खराब हो गया. आप सबको सही सलामत पहुंचाना ज्यादा जरूरी था. अब पीछे मुड़कर देखती हूं, तो लगता है कि जिंदगी बहुत नाजुक होती है. एक पल में सब बदल सकता है. उस दिन अगर ड्राइवर 10 मिनट भी देर कर देता, तो शायद मैं ये कहानी नहीं सुना रही होती.

-जैसा कि जम्मू-कश्मीर घूमने गयीं अरसंडे निवासी रेणु सिंह ने बताया

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