झारखंड के पेयजल और स्वच्छता विभाग में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी, 160 करोड़ के काम में रुपये गबन की आशंका

Jharkhand News: पेयजल और स्वच्छता विभाग में बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई है. इसका खुलासा वित्त विभाग की ओर से गठित सात सदस्यीय जांच कमेटी ने किया है.

By Sameer Oraon | April 8, 2025 9:44 AM

रांची, आनंद मोहन: पेयजल और स्वच्छता विभाग में वर्ष 2019 से 2024 तक बड़े पैमाने पर अनियमितता की बात सामने आयी है. वित्त विभाग की ओर से गठित अंतर विभागीय सात सदस्यीय जांच कमेटी ने इसका खुलासा किया है. जांच के दौरान घोटाले में इंजीनियर से लेकर कोषागार के अधिकारियों की मिलीभगत की बात सामने आयी है. कार्यपालक अभियंता स्वर्णरेखा शीर्ष प्रमंडल, रांची कार्यालय के माध्यम से वर्ष 2019-20 से लेकर 2023-24 की अवधि में लगभग 160 करोड़ रुपये का काम हुआ है. जांच कमेटी ने इसमें गबन की आशंका जतायी है.

2019 से लेकर 2024 अवैध निकासी का मामला सामने आया

जांच कमेटी ने पेयजल स्वच्छता विभाग को इस प्रमंडल का वर्ष 2012-13 से लेकर 2023- 24 तक विशेष ऑडिट कराने की अनुशंसा अपनी जांच रिपोर्ट में की है. इस प्रमंडल से वर्ष 2019 से लेकर 2024 तक अलग-अलग वर्षों में लाखों की अवैध निकासी का मामला सामने आया है. जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि रांची के इस प्रमंडल से डीडीओ कोड-आरएनसीडब्लूएसएस 001 से अकेले तीन करोड़ से अधिक की अवैध निकासी अलग-अलग वर्षों में हुई. इस कोड संख्या से वर्ष 2019-20 में 2.71 करोड़ रुपये से अधिक का गबन हुआ.

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34.15 लाख के गबन की बात आयी सामने

इसी कोड से वर्ष 2018-19 में 5.10 लाख का, 2019-20 में 20.04 लाख और 2022-23 में 9.01 लाख यानि कुल 34.15 लाख का गबन सामने आया है. जांच कमेटी ने बताया है कि पेयजल विभाग के सभी कार्य प्रमंडलों की जांच करायी जाये कि इस शीर्ष में कहां-कहां काम हुए हैं. जांच कमेटी ने कहा है कि निलंबित रोकड़पाल संतोष कुमार जिस-जिस प्रमंडल में पदस्थापित रहे हैं, वहां विशेष जांच करायी जाये. जांच कमेटी ने कार्यपालक अभियंता, पेयजल व स्वच्छता विभाग के गोंदा, रांची पूर्व, नागरिक अंचल ओर अधीक्षण अभियंता, पेयजल और स्वच्छता अंचल की विशेष रूप से ऑडिट कराने को कहा है.

डीडीओ की भूमिका संदिग्ध

जांच कमेटी का मानना है कि इन प्रमंडल में भी अनियमितता बरती गयी होगी. पूरी जांच से मामला साफ है कि कार्यपालक अभियंता की व्यय व निकासी पदाधिकारी यानी निकासी व व्ययन पदाधिकारी (डीडीओ) के रूप में भूमिका संदिग्ध रही है.

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