Jharkhand Liquor Scam: सिद्धार्थ सिंघानिया को 23 जून तक जेल, विजन और मार्शन कंपनी के 7 अधिकारी भी दोषी

Jharkhand Liquor Scam: झारखंड शराब घोटाला मामले में एसीबी कोर्ट ने सिद्धार्थ सिंघानिया को 23 जून तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया. 23 जून को अन्य आरोपियों की भी सुनवाई है. इधर, एसीबी की जांच में विजन और मार्श कंपनी के 7 अधिकारी दोषी पाए गये हैं.

By Rupali Das | June 21, 2025 10:27 AM

Jharkhand Liquor Scam: झारखंड में हुए 38 करोड़ से अधिक के शराब घोटाला मामले में एसीबी की जांच लगातार जारी है. इस कड़ी में मामले के किंगपिन माने जाने वाले सिद्धार्थ सिंघानिया को शुक्रवार को एसीबी के विशेष न्यायाधीश योगेश कुमार सिंह की अदालत में पेश किया गया. अदालत ने उसे 23 जून तक के लिए जेल भेज दिया.

23 जून को होगी सभी आरोपियों की पेशी

बताया जा रहा है कि अन्य सभी आरोपियों की पेशी भी 23 जून को होनी है, इसलिए सिद्धार्थ सिंघानिया को भी 23 जून तक के लिए ही न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. सिद्धार्थ सिंघानिया को शुक्रवार दोपहर करीब 2:58 बजे एसीबी कोर्ट लाया गया. इसके बाद शाम लगभग 4:55 बजे सिद्धार्थ को कोर्ट से निकाल कर होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा भेज दिया गया.

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विजन और मार्शन कंपनी के 7 अधिकारी दोषी

इधर, एसीबी ने झारखंड शराब घोटाला केस में जांच के दौरान विजन और मार्शन कंपनी के सात अधिकारियों को भी दोषी पाया है. ऐसे अधिकारी जिन्हें जांच में दोषी पाया गया है, उनमें विजन हॉस्पिलिटी सर्विस एंड कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड के विपिन जाधव भाई परमार, महेश शेगड़े, परेश अभिसिंह ठाकुर, विक्रमसिंह अभिसिंह ठाकुर और मेसर्स मार्शन इनोवेटिव सिक्यूरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के जगन तुकाराम देशाई, कमल जगन देसाई और शीतल जगन देसाई शामिल हैं.

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कैसे हुआ खुलासा

बता दें कि केस दर्ज करने के दौरान एसीबी ने उक्त दोनों कंपनी के अज्ञात निदेशक सहित अन्य लोगों को आरोपी बनाया था. इसी दर्ज केस के आधार पर उक्त लोगों की पहचान हुई थी. एसीबी को जांच के दौरान इस बात के सबूत मिले थे कि विजन कंपनी ने शराब दुकान में मैनपावर सप्लाई करने का काम लेने के लिए 5,35,35,241 रुपये की फर्जी बैंक गारंटी जमा की थी. जबकि मार्शन कंपनी ने 5,02,07,576 रुपये की फर्जी बैंक गारंटी जमा की थी.

एसीबी की जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि उक्त दोनों कंपनी ने साल 2023 से ही फर्जी बैंक गारंटी देकर विभाग के पदाधिकारियों के सहयोग से शराब की पूर्व राशि को विभाग में जमा नहीं किया.

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