Jharkhand Foundation Day 2022: बिरसा मुंडा के संघर्ष और बलिदान का परिणाम है सीएनटी, जानें उनके बारे में

बिरसा मुंडा ने उलगुलान की राह पर चल कर अपने कई साथियों सहित खुद का भी बलिदान दिया. उनके उलगुलान की ही ताकत थी कि अंगरेज झुके और आदिवासियाें की जमीन की रक्षा के लिए छाेटानागपुर टेनेंसी एक्ट (सीएनटी) लागू किया

By Prabhat Khabar | November 15, 2022 7:13 AM

बिरसा मुंडा ने उलगुलान की राह पर चल कर अपने कई साथियों सहित खुद का भी बलिदान दिया. उनके उलगुलान की ही ताकत थी कि अंगरेज झुके और आदिवासियाें की जमीन की रक्षा के लिए छाेटानागपुर टेनेंसी एक्ट (सीएनटी) लागू किया. जनमानस में वह इतने लोकप्रिय हुए कि उन्हें भगवान का दर्जा मिला. जब अलग झारखंड राज्य के गठन का सपना साकार हुआ, तो उसके लिए उनके जन्मदिन 15 नवंबर को ही चुना गया. भारत सरकार ने बिरसा मुंडा की याद में डाक टिकट जारी किया, संसद में उनकी तसवीर लगी है और उनके जन्मदिन काे जनजातीय गाैरव दिवस घाेषित किया गया है.

बिरसा मुंडा : 1875 से 1900 तक

बिरसा मुंडा : 1875 से 1900 तक

1875

बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर को वर्तमान उलिहातू (अभी खूंटी जिला के अधीन) में हुआ था. उनकी आरंभिक शिक्षा सलमा में हुई, फिर चाईबासा के मिशन विद्यालय में पढ़े. वे तीक्ष्ण बुद्धि के थे और उनमें नेतृत्व का नैसर्गिक गुण था.

1890

बिरसा मुंडा ने चाईबासा छाेड़ दिया. फिर धर्म के प्रति उनका झुकाव बढ़ा. आध्यात्मिक शक्ति का अहसास हुआ.

1891

बिरसा मुंडा बंदगांव गये, जहां आनंद पांड से वैष्णव धर्म की प्रारंभिक जानकारी ली.

1895

बिरसा मुंडा प्रभावशाली बन चुके थे. उन्होंने मुंडाओं काे एकजुट कर उलगुलान आरंभ कर दिया था. उनका प्रभाव इतना था कि सरदार आंदाेलन के याेद्धा भी उलगुलान से जुड़ गये. बिरसा मुंडा ने जमीन की लड़ाई लड़ी. उनकी लाेकप्रियता से अंगरेज परेशान थे और 1895 में उन्हें पहली बार गिरफ्तार किया गया था.

1897

बिरसा मुंडा को हजारीबाग जेल भेज दिया गया था, जहां से 1897 में रिहा किया गया था.

1899

रिहाई के बाद बिरसा मुंडा ने दोबारा मुंडाओं को एकजुट किया और सरकार समर्थकों के खिलाफ दिसंबर 1899 में संघर्ष शुरू किया.

1900

09 जनवरी : सइल रकब पहाड़ी पर बिरसा मुंडा के अनुयायियों पर पुलिस ने अंधाधुंध फायरिंग की.

सरकार ने बिरसा मुंडा पर 500 रुपये का इनाम घाेषित किया और उन्हें पकड़ने का अभियान चलाया.

बिरसा मुंडा ने सिंहभूम जिले के सेंतरा जंगल में ठिकाना बनाया था, जिसकी सूचना गद्दाराें ने पुलिस को दे दी.

05 फरवरी : बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर लिया गया. फिर रांची जेल में बंद कर दिया गया.

09 जून : रांची जेल में रहस्यमय तरीके से बिरसा मुंडा की मौत हो गयी. रांची के काेकर डिस्टीलरी के पास नदी किनारे उनका अंतिम संस्कार किया गया, जहां आज उनकी समाधि है.

कृषि

वर्ष 2000 में करीब 10% कृषि योग्य भूमि पर सिंचाई की सुविधा थी. आज यह 41% के करीब है.

वर्ष 2000 में 27 लाख टन धान उत्पादन हुआ. वर्ष 2021-22 में 51 लाख टन से अधिक धान हुआ.

मत्स्य पालन

राज्य गठन के समय मछली उत्पादन 14 हजार एमटी था. आज यह 1.75 लाख एमटी हो गया है

शिक्षा

वर्ष 2000 में 16022 सरकारी स्कूल थे, आज 35442 सरकारी स्कूल हैं

विद्यार्थियों की संख्या 27 लाख थी, जो आज बढ़ कर 42 लाख हो गयी है.

बिजली

वर्ष 2001 में प्रतिदिन 650 से 750 मेगावाट बिजली की मांग थी, आज 2200 से 2400 मेगावाट हो गयी है

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