ranchi news : डायल-108 : झारखंड में कंडम एंबुलेंस के भरोसे है टूटती सांसों की डोर

फिलहाल राज्य की सड़कों पर 436 एंबुलेंस ही दौड़ रही हैं. इनमें से ज्यादातर एंबुलेंस कंडम हो चुकी हैं और एमवीआइ रूल्स का उल्लंघन करते हुए चलायी जा रही हैं

By Prabhat Khabar News Desk | August 24, 2025 10:19 PM

543 एंबुलेंस चलाने का दावा, 436 ही ऑनरोड, इनमें से 337 करीब 10 साल पुरानी

रांची(बिपिन सिंह). एंबुलेंस सेवा ‘डायल-108’ राज्य में आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा का महत्वपूर्ण अंग है, जिसकी शुरुआत 14 नवंबर 2017 से हुई थी. इसके तहत 543 एंबुलेंस चलाने का दावा किया जाता है. हालांकि, यह केवल कागजी सच है. साल भर से इस सेवा का संचालन नयी एजेंसी ‘सम्मान फाउंडेशन’ कर रही है. सूत्रों के अनुसार, फिलहाल राज्य की सड़कों पर 436 एंबुलेंस ही दौड़ रही हैं. इनमें से ज्यादातर एंबुलेंस कंडम हो चुकी हैं और एमवीआइ रूल्स का उल्लंघन करते हुए चलायी जा रही हैं. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि इनमें से 337 एंबुलेंस वर्ष 2015-16 में खरीदी गयी थीं, जो अब तक चार से पांच लाख किलोमीटर से ज्यादा चल चुकी हैं.

सेवा की शुरुआत में दावा किया गया था कि बड़ी संख्या में एंबुलेंस एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) से लैस होगी, जो रोड साइड एक्सीडेंट और गंभीर मरीजों को गोल्डेन आवर में अस्पताल पहुंचायेगी. जबकि, पड़ताल में पता चला है कि मौजूदा वक्त में ज्यादातर एंबुलेंस बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) के साथ ही चलायी जा रही हैं. गौरतलब है कि शुरुआत में जिकित्जा हेल्थ केयर और उसके बाद मैसर्स इएमआरआइ ग्रीन हेल्थ सर्विसेज ने इन एंबुलेंस का संचालन किया. उसके बाद यह सेवा सम्मान फाउंडेशन को हस्तांतरित की गयी. हस्तांतरण के दौरान जांच में पाया गया कि डायल-108 के बेड़े में शामिल करीब दो तिहाई एंबुलेंस जर्जर हो चुकी हैं. इनमें लगाये गये कीमती उपकरण रखरखाव के अभाव में जंग लग कर खराब हो गये हैं. वहीं, बड़ी एंबुलेंसों के अंदर स्ट्रेचर पर मरीजों को लिटाया नहीं जा सकता. मौजूदा वक्त में सेवा से जुड़े कर्मचारियों को कहना है कि एंबुलेंस का सस्पेंशन इस कदर खराब है कि मरीज को स्ट्रेचर की जगह नीचे मैट्रेस डालकर लिटाना पड़ता है.

सम्मान फाउंडेशन ने एंबुलेंस की हालत पर जतायी थी चिंता

‘मैसर्स इएमआरआइ ग्रीन हेल्थ सर्विसेज’ से डॉयल-108 का संचालन अपने हाथ में लेते वक्त ‘सम्मान फाउंडेशन’ ने पुरानी एंबुलेंसों की फिटनेस को लेकर चिंता जतायी थी. वहीं, पूर्व में कंडम घोषित की जा चुकी एंबुलेंसों की मरम्मत के लिए अनुमानित राशि के आकलन के लिए उपायुक्त की निगरानी में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था. समिति ने भी निरीक्षण के क्रम में कुछ एंबुलेंसों को अनफिट घोषित कर दिया था. समिति ने एंबुलेंस में उपलब्ध मशीनों और उपकरणों सहित अन्य सामग्री की जांच कर विभाग को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके आधार पर नयी एंबुलेंसों की खरीद होनी है. रांची जिला में भी चार एंबुलेंसों को कंडम घोषित किया जा चुका है. उधर, डायल-108 के तहत जामताड़ा में संचालित सभी आठ एंबुलेंस का हस्तांतरण सिविल सर्जन ने नहीं लिया. कहा गया कि ज्यादातर एंबुलेंस की कंडीशन बहुत खराब है.

इधर, स्वास्थ्य विभाग ने जिलों से सभी तरह के एंबुलेंस का ब्योरा मांगा

स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों से वहां तैनात एंबुलेंसों का ब्योरा मांगा है. इसका मकसद इमरजेंसी सेवाओं को उन्नत तरीके से स्थापित करना है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने इसे लेकर डायल-108 के नोडल पदाधिकारी और सम्मान फाउंडेशन के प्रोजेक्ट हेड को एक पत्र लिखा है. इसमें राज्य में संचालित सभी सरकारी और निजी एंबुलेंसों की पूरी जानकारी मांगी गयी है. एनएचएम के ट्रॉमा एंड बर्न यूनिट के नोडल पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार ने इस संबंध में 26 मई को एक फार्मेट जारी किया था, जिसके तहत जिलों को जानकारी देनी है. डायल-108 के तहत पूर्व से संचालित सभी पुरानी एंबुलेंसों की जांच कर उनकी संख्या उपलब्ध कराने को कहा गया है.

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