CM Office of Profit Case: आयोग में सुनवाई हुई पूरी, 18 के बाद होगा फैसला

सीएम के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग अब 18 अगस्त के बाद फैसला सुनायेगा. माइनिंग लीज आवंटन मामले में घिरे सीएम हेमंत सोरेन की ओर से वकीलों की टीम ने शुक्रवार को चुनाव आयोग के समक्ष अपनी लंबी दलील पेश की. वकीलों ने कहा कि सीएम ने जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 9ए का उल्लंघन नहीं किया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 13, 2022 8:40 AM

Ranchi news: सीएम के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग अब 18 अगस्त के बाद फैसला सुनायेगा. माइनिंग लीज आवंटन मामले में घिरे सीएम हेमंत सोरेन की ओर से वकीलों की टीम ने शुक्रवार को चुनाव आयोग के समक्ष अपनी लंबी दलील पेश की. वकीलों ने कहा कि माइनिंग लीज मामले में सीएम ने जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 9ए का उल्लंघन नहीं किया है और ऐसे में उनकी सदस्यता समाप्त नहीं की जा सकती है. दोनों पक्षों की ओर से दलील पूरी हो चुकी है. सुनवाई के बाद सीएम की ओर से पेश चुनाव आयोग के पूर्व विधिक सलाहकार एसके मेहंदीरत्ता ने कहा कि हमने अपनी ओर से बहस पूरी कर ली है. चुनाव आयोग ने 18 अगस्त को दोनों पक्षों को लिखित बयान दाखिल करने को कहा है. इसके बाद इस मामले में आयोग फैसला सुनायेगा.

22 को होगी बसंत के मामले में सुनवाई

ज्ञात हो कि भाजपा ने दलील दी है कि माइनिंग लीज का आवंटन अपने नाम से कराकर सीएम ने जनप्रतिनिधि कानून का उल्लंघन किया है और ऐसे में उनकी सदस्यता समाप्त होनी चाहिए.वहीं, बंसत सोरेन की सदस्यता रद्द करने के मामले में दिल्ली निर्वाचन आयोग में शुक्रवार को सुनवाई नहीं हो सकी. इस मामले में आयोग ने 22 अगस्त को अगली तिथि दी है.

सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने कहा प्रार्थी की भूमिका पर शक

सुप्रीम कोर्ट ने सीएम हेमंत सोरेन के करीबियों के शेल कंपनियों में निवेश व हेमंत सोरेन को माइनिंग लीज आवंटन मामले में राज्य सरकार की ओर से दायर एसएलपी पर सुनवाई की. न्यायाधीश यूयू ललित और न्यायाधीश एस रविंद्र भट्ट की पीठ के समक्ष राज्य सरकार की ओर कपिल सिब्बल व महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि सीएम के खिलाफ याचिका दायर करनेवाले के वकील खुद उगाही के मामले में पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये जाने के बाद न्यायिक हिरासत में हैं, लेकिन हाइकोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब तक नहीं मांगा है.

हाइकोर्ट में दाखिल पीआइएल आधारहीन है, क्योंकि याचिकाकर्ता की भूमिका शक के दायरे में है. पीठ ने सरकार के वकील को अगली सुनवाई के दौरान इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज पेश करने को कहा. संक्षिप्त सुनवाई के बाद पीठ ने अगली सुनवाई के लिए 17 अगस्त की तारीख तय की. इस मामले में झारखंड के स्थानिक आयुक्त ने सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि वह याचिकाकर्ता के वकील राजीव से जुड़े कुछ तथ्य रखना चाहते हैं.

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