बोकारो के प्रसेनजीत ने प्राकृतिक मिठास के फायदे देख शुरू किया स्टार्टअप, नाम दिया ‘जीवन बोध एग्रोटेक’

स्टीविया के फायदे देख प्रसेनजीत ने अपना स्टार्टअप ‘जीवन बोध एग्रोटेक’ शुरू किया. 2019 में अपने घर पर पॉली हाउस तैयार कर स्टीविया के पौधे तैयार किये. पर झाखंड की मिट्टी में स्टीविया के जीन्स नहीं फल रहे थे.

By Prabhat Khabar | May 21, 2023 11:12 AM

रांची, अभिषेक रॉय : दांतु बोकारो के प्रसेनजीत कुमार खेती-किसानी के क्षेत्र में कुछ नया करना चाहते थे. जड़ी-बूटी में गहरी रुचि होने के कारण झारखंड राय यूनिवर्सिटी से बीएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई की. हालांकि, नौकरी से जुड़ने के बजाय प्रसेनजीत ने खुद के स्टार्टअप पर फोकस किया. पेड़-पौधों पर शोध के क्रम में स्टीविया (मीठी तुलसी) से परिचय हुआ. उन्होंने 150 रुपये में राजस्थान से इसके पत्ते मंगवाये. प्रसेनजीत कहते हैं कि स्टीविया का इस्तेमाल चीनी के विकल्प के रूप में किया जा सकता है. इसमें चीनी के मुकाबले कम कैलोरी होती है. इसके इस्तेमाल से वजन कम होता है, साथ ही ब्लड शुगर लेवल को सामान्य रखने में मदद मिलती है. शुरुआत में उन्होंने घर में इसका इस्तेमाल शुरू किया, जिससे परिवार के सदस्यों का मधुमेह भी संतुलित होता गया.

स्टीविया के फायदे देख प्रसेनजीत ने अपना स्टार्टअप ‘जीवन बोध एग्रोटेक’ शुरू किया. 2019 में अपने घर पर पॉली हाउस तैयार कर स्टीविया के पौधे तैयार किये. पर झाखंड की मिट्टी में स्टीविया के जीन्स नहीं फल रहे थे. शोध के बाद मध्यप्रदेश में कॉन्ट्रैक्ट खेती के लिए एक एकड़ जमीन ली. तीन महीने में ही फसल तैयार हो गयी. खुद से पैकेजिंग कर डोर-टू-डोर कैंपेन कर स्टीविया को बेचना शुरू किया. समय के साथ स्टार्टअप को बिजनेस-टू-कस्टमर (बी-टू-सी) मॉडल पर लांच कर दिया. प्रसेनजीत कहते हैं कि एमपी में पहली दफा खेती कराने में 1.20 लाख रुपये की लागत आयी. फसल तैयार होने के बाद मुनाफा हुआ.

इसके बाद प्लांट कल्चर को बढ़ाते हुए 30 एकड़ में इसकी खेती करने लगे. स्टीविया के फसल एक वर्ष में चार बार तैयार होने से इसके व्यवसाय को बढ़ाना आसान हुआ. वर्तमान में जीवन बोध एग्रोटेक के स्टीविया देश के 10 बड़े राज्य- झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और बंगाल के बाजार में उपलब्ध कराये जा रहे हैं. इससे कंपनी अब मल्टी मिलियन के मुनाफे पर है.

परिवार के साथ जीवनबोध इंडस्ट्रीज की नींव रखी

समय के साथ स्टार्टअप को मिले बेहतर रिस्पांस से प्रसेनजीत ने व्यवसाय को बढ़ाने की ठानी. पिता विवेकानंद, भाई- प्रवीर व समीर कुमार और बहन अकांक्षा कुमारी को व्यवसाय से जोड़ा और जीवनबोध इंडस्ट्रीज की नींव रखी. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमइजीपी) के तहत स्क्रबर मेन्युफैकचरिंग करना शुरू किया. आज वे सैकड़ों लोगों के रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं. वहीं, अपनी संस्था ‘बनो किसान’ के जरिये एग्रीकल्चर की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को खेती-किसानी का प्रशिक्षण दे रहे हैं.

नोनी और काली हल्दी पर कर रहे शोध

खेती-किसानी से जुड़े प्रसेनजीत अपने व्यवसाय को देखते हुए लगातार रिसर्च कर रहे है. कहा कि कोरोना काल में लोगों ने अपने इम्यूनिटी सिस्टम को बरकरार रखने में हजारों रुपये खर्च किये है. जबकि, प्राकृतिक फसल नोनी और काली हल्दी इस दिशा में रामबाण का काम करती है. इनके फायदों को देख प्रसेनजीत ने दांतु स्थित अपने आवास पर नोनी और काली हल्दी की खेती शुरू की है. ये उत्पाद भी अब राज्य के बाजार में कम कीमत में उपलब्ध होने लगे हैं.

Also Read: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के देवघर आगमन को लेकर प्रशासिनक तैयारियां जोरों पर, रेड जोन में यह रूट

Next Article

Exit mobile version