आयुष्मान योजना से बढ़ी सरकारी अस्पतालों की आय, मरीजों को मिल रहीं बेहतर सुविधाएं

स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के कारण जिन सरकारी अस्पतालों में लोग जाने से कतराते थे, वहां आज मरीजों की भीड़ लगी रहती है. साथ ही उन्हें इलाज की बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं. ऐसा आयुष्मान भारत योजना की वजह से संभव हुआ है. जानें कैसे...

By Prabhat Khabar | June 25, 2023 7:55 AM

रांची, बिपिन सिंह. स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के कारण जिन सरकारी अस्पतालों में लोग जाने से कतराते थे, वहां आज मरीजों की भीड़ लगी रहती है. साथ ही उन्हें इलाज की बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं. ऐसा आयुष्मान भारत योजना की वजह से संभव हुआ है. आयुष्मान भारत योजना का लाभ न केवल मरीजों को मिल रहा है, बल्कि इससे जिले के सरकारी अस्पतालों की आय भी बढ़ी है. आय बढ़ने से मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं.

राजधानी के डोरंडा डिस्पेंसरी, अनगढ़ा व रातू जैसे छोटे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी उपचार की सुविधाएं बढ़ी हैं. वहीं, जिला अस्पताल (सदर) में ब्लड कैंसर से लेकर, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी तक के महंगे इलाज का लाभ मरीजों को मिल रहा है. मरीजों को बेहतर सुविधा देने व आयुष्मान के तरह ज्यादा मरीजों का इलाज करने के मामले में सदर अस्पताल रांची को 2019 में देश में दूसरा स्थान मिला था.

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी बढ़ी सुविधाएं

रांची जिला अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में आयुष्मान के इलाज से पांच से सात लाख रुपये तक आय बढ़ी है. अनगढ़ा, रातू, बेड़ो, डोरंडा और लापुंग जैसे इलाके के लोगों को अब स्थानीय स्तर पर ही सर्जरी तक की सुविधाएं मिल रही हैं.

सरकारी अस्पतालों पर भरोसा जता रहे लोग

आयुष्मान योजना के तहत इलाज कराने में लोग अब सरकारी अस्पतालों पर भरोसा जता रहे हैं. पिछले माह जिले के सरकारी अस्पतालों में 4,423 लोगों ने इलाज कराया. वहीं, 5,319 लोगों ने निजी अस्पतालों में इलाज कराया.

आत्मनिर्भर हो रहे सरकारी अस्पताल

क्लेम के इन पैसों से न केवल सदर अस्पताल, बल्कि छोटे सरकारी अस्पतालों का भी कायाकल्प हुआ है. इन अस्पतालों में न केवल विशेषज्ञ चिकित्सकों का परामर्श मिल रहा है, बल्कि ओटी में सर्जरी की बेहतर सुविधा मिल रही है. इंसेंटिव के इन पैसों का उपयोग अस्पतालों में आधारभूत संरचना विकसित करने के अलावा उपकरण व दवाओं की खरीद में किया जा रहा है. आयुष्मान योजना के तहत सूचीबद्ध अस्पतालों में स्वीपर से लेकर पैरा मेडिकल स्टाफ और डॉक्टर तक को कुछ न कुछ इंसेंटिव प्राप्त हो रहा है.

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