निजी कंपनियों में कितने स्थानीय लोग हैं सर्वे करें, झारखंड विधानसभा की प्रवर समिति ने दिया सुझाव

इसमें संशोधन को लेकर विधानसभा प्रवर समिति में चर्चा की जा रही है. जिसकी बैठक मंत्री सत्यानंद भोक्ता की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई. इसमें समिति के सदस्य के रूप में विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी, प्रदीप यादव और विनोद सिंह शामिल थे. बैठक में श्रम विभाग के सचिव प्रवीण टोप्पो सहित कई पदाधिकारी मौजूद थे.

By Prabhat Khabar | July 28, 2021 9:34 AM
  • विधानसभा प्रवर समिति की हुई बैठक, भागीदारी नहीं मिलने की वजह तलाशने पर जोर

  • समिति का सुझाव : सरकार आरक्षण देना चाहती है, तो आधार मजबूत हो, प्राथमिकता तय करें

Jharkhand Reservation News रांची : विधानसभा की प्रवर समिति ने सुझाव दिया है कि राज्य में निजी कंपनियों में कार्यरत स्थानीय लोगों की भागीदारी तय करने के लिए पहले सर्वे कराया जाये. सरकार यह पता करे कि राज्य की निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों की कितनी भागीदारी है और कंपनियों में विभिन्न पदों पर झारखंड के कितने लोग काम कर रहे हैं. जिससे निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान संभव हो पायेगा. बताते चलें कि पिछले विधानसभा सत्र में सरकार की ओर से निजी कंपनियों में 75 प्रतिशत आरक्षण देने का विधेयक लाया गया था.

इसमें संशोधन को लेकर विधानसभा प्रवर समिति में चर्चा की जा रही है. जिसकी बैठक मंत्री सत्यानंद भोक्ता की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई. इसमें समिति के सदस्य के रूप में विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी, प्रदीप यादव और विनोद सिंह शामिल थे. बैठक में श्रम विभाग के सचिव प्रवीण टोप्पो सहित वरीय पदाधिकारी मौजूद थे.

कंपनियों का सैंपल सर्वे कराया जाये :

समिति का कहना था कि सरकार पहले पता लगा ले कि किस तरह यहां के लोगों को निजी कंपनियों में भागीदारी नहीं मिल पायी है. इसकी क्या वजह रही है? राज्य की कुछ कंपनियों का सैंपल सर्वे करा लिया जाये. प्रवर समिति के सदस्यों की ओर से प्रस्ताव आया कि विधेयक में 30 हजार रुपये वेतन की सीमा तय की गयी है. 30 हजार वेतन में कार्य के लिए आरक्षण की बात है. इस सीमा को बढ़ाना चाहिए. कंपनियों में 50 हजार तक के वेतन के लिए आरक्षण का प्रावधान लागू हो.

नियुक्ति मामले में जांच हो :

समिति में सरकार की ओर से बताया गया कि कई राज्यों में निजी कंपनियों में आरक्षण के लिए वेतनमान की सीमा तय की गयी है. सदस्यों का कहना था कि तमिलनाडु ने वेतन को लेकर किसी तरह की सीलिंग तय नहीं की है. समिति के सामने यह भी बात आयी कि कंपनियों द्वारा नौकरी के विज्ञापन निकाले जाते हैं, उसमें स्थानीय लोगों की अयोग्य बोल कर छंटनी की जाती है.

अर्हता पूरा नहीं करने की बात कही जाती है. ऐसे मामले की जांच के लिए डीसी की अध्यक्षता में जनप्रतिनिधियों को शामिल कर एक समिति बनायी जाये. समिति का प्रस्ताव था कि विधेयक में 75 प्रतिशत आरक्षण की प्राथमिकता तय हो. इसमें सोशल इंजीनियरिंग का भी ख्याल रखा जाये. एसटी, एससी, पिछड़े सहित दूसरे स्थानीय लोगों को प्राथमिकता मिले. विस्थापितों का विशेष ख्याल नियुक्तियों में रखा जाये.

प्रवर समिति में क्यों हो रही है चर्चा

श्रम विभाग की ओर से पिछले विधानसभा सत्र में निजी कंपनियों में 75 प्रतिशत आरक्षण देने का विधेयक लाया गया. इसमें विधानसभा के अंदर चर्चा हुई. सदस्यों ने विधेयक में कई तरह की कमियां और त्रुटि गिनायीं. सदन में रामचंद्र चंद्रवंशी और प्रदीप यादव की ओर से संशोधन का प्रस्ताव दिया गया. इसके बाद स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने विधेयक को प्रवर समिति में भेज दिया. अब प्रवर समिति इसके ड्राफ्ट पर चर्चा कर रही है.

इन बिंदुओं पर भी चर्चा

निजी कंपनियों में 50 हजार तक वेतन के लिए आरक्षण हो

कंपनियों में स्थानीय लोगों की नियुक्ति नहीं होती, जिसकी जांच के लिए समिति बने

75% आरक्षण की प्राथमिकता तय हो, जिसमें सोशल इंजीनियरिंग का भी ख्याल रहे

Posted By : Sameer Oraon

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