हम अपनी पहचान व आत्मसम्मान के साथ आगे बढ़ें

डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान, मोरहाबादी में अोत गुरु लको बोदरा की जयंती मनी, राज्यपाल ने कहा रांची : हमारे समाज में लोग आध्यात्मिक व चिकित्सक हुआ करते थे. जड़ी-बुटियों व वनस्पति से हर बीमारी का इलाज करनेवाले. वो हमेशा सच बोलते थे. सच्चे मन से ईश्वर से संवाद स्थापित कर लेनेवाले हमारे पुरखे […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 16, 2019 9:08 AM
डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान, मोरहाबादी में अोत गुरु लको बोदरा की जयंती मनी, राज्यपाल ने कहा
रांची : हमारे समाज में लोग आध्यात्मिक व चिकित्सक हुआ करते थे. जड़ी-बुटियों व वनस्पति से हर बीमारी का इलाज करनेवाले. वो हमेशा सच बोलते थे. सच्चे मन से ईश्वर से संवाद स्थापित कर लेनेवाले हमारे पुरखे अब खो गये हैं.
हमारी विरासत, संस्कृति, भाषा व दूसरे ज्ञान भी धीरे-धीरे लुप्त हो रहे हैं. हम पढ़ लिख कर पैसा तो कमाने लगे हैं, पर हमारी बेहतर चीजें हमारा साथ छोड़ रही हैं. पर यह जरूरी है कि हम अपनी पहचान, भाषा व आत्म सम्मान के साथ ही आगे बढ़ें, इन्हें छोड़ कर नहीं. ये बाते राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कही. वह रविवार को डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान, मोरहाबादी में अायोजित अोत गुरु लको बोदरा की 100वीं जयंती पर अायोजित समारोह में बोल रही थीं. संस्थान ने सिंहभूम आदिवासी समाज, मोरहाबादी के साथ मिल कर इसका आयोजन किया था.
राज्यपाल ने कहा कि सरकार जनजातीय कल्याण के लिए कई काम कर रही है. केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाएं हैं. पर इनके बारे में जनजातीय समाज जागरूक नहीं है. हमें जागरूक होना होगा. हमारी दूसरी समस्या भी है. हम शहरी हो गये हैं. अपने गांव-घर जाना हमने छोड़ दिया है. वहां जाइये, अपने बच्चों को भी ले जाइये. कभी-कभी ही सही. तभी हमारी विरासत व संस्कृति दोनों बचेगी. शिक्षित लोगों की जिम्मेवारी ज्यादा है. हो व हिंदी भाषा का प्रयोग कर राज्यपाल ने अपनी बात कही तथा भगवान बिरसा मुंडा व जनजातीय सम्मान से जुड़ा गीत भी गाया.
संस्थान के निदेशक रणेंद्र ने कहा कि जनजातीय समाज का दर्शन किसी भी अन्य समाज से ज्यादा है. टीआरआइ ने नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) से बात की है. हम उनकी मदद से 10 जनजातीय भाषाअों की किताबें प्रकाशित करेंगे. झारखंड भाषा अकादमी की भी बात चल रही है. इससे जनजातीय भाषाअों के संरक्षण व संवर्द्धन का काम होगा. सिंहभूम आदिवासी समाज के अध्यक्ष दामोदर सिंकु व बागुन बोदरा ने भी अपने विचार व्यक्त किये. इस अवसर पर हो समाज से जुड़े तथा अन्य लोग उपस्थित थे.
जनजातीय भाषाअों में शिक्षा पर दिया जोर : राज्यपाल ने कहा कि सिद्धो-कान्हू विवि ने कई जनजातीय साहित्य का प्रकाशन कराया है. जनजातीय लिपियों को संरक्षित करने के लिए भी प्रकाशन होने चाहिए. रांची विवि में विभिन्न जनजातीय भाषाअों की पुस्तकों के प्रकाशन के लिए अनुवादक नहीं मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्तर पर स्कूली शिक्षा छोड़ने का एक कारण बच्चों को उनकी भाषा में शिक्षा नहीं देना भी है.
हमारा अपना सभागार हो : जनजातीय शोध संस्थान के छोटे सभागार की चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि जनजातीय समाज का अपना एक बड़ा सभागार होना चाहिए, जहां हम नाचे-गाएं, राज्य या केंद्र किसी सरकार से यह मिले. हमने केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा से बात की है. उन्होंने कहा है कि वह कुछ करेंगे.
हो साहित्यकार व वरिष्ठ लोग किये गये सम्मानित
राज्यपाल ने समाज के कई साहित्यकारों व वरिष्ठ लोगों को सम्मानित किया. सम्मानित साहित्यकार : स्व कान्हू राम देवगम, धनुर सिंह पूर्ति, प्रो बलराम पाट पिंगुवा, डॉ जानम सिंह सोय, कमल लोचन कोड़ाह व डॉ दमयंती सिंकु देवगम. सम्मानित वरिष्ठ जन : स्व विश्वनाथ बोदरा, स्व शिवाराम दोराइबुरु, स्व जयराम जेराई, स्व बिरसा हेस्सा, भोलानाथ गागराई, स्व भगवान सिंकु तथा स्व प्रसन्न कुमार पिंगुवा.

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