निगम ने बदली फुटपाथ दुकानदारों की जिंदगी, मिला अपना ठौर, खत्म हुआ मुश्किलों का दौर

रांची : कभी कचहरी चौक से सर्जना चौक तक सड़क किनारे फुटपाथ पर दुकान लगानेवालों की जिंदगी आज एकदम बदल गयी है. हो भी क्यों नहीं, रांची नगर निगम ने इन लोगों को अटल स्मृति वेंडर मार्केट में दुकानें जो दे दी हैं. दो महीने से इस मार्केट में दुकानें लगा रहे इन लोगों की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 4, 2019 8:33 AM
रांची : कभी कचहरी चौक से सर्जना चौक तक सड़क किनारे फुटपाथ पर दुकान लगानेवालों की जिंदगी आज एकदम बदल गयी है. हो भी क्यों नहीं, रांची नगर निगम ने इन लोगों को अटल स्मृति वेंडर मार्केट में दुकानें जो दे दी हैं.
दो महीने से इस मार्केट में दुकानें लगा रहे इन लोगों की मानें, तो शुरुआत के कुछ दिनों में इस मार्केट में लोगों की आवाजाही कम थी. लेकिन अब यह मार्केट गुलजार रहने लगा है. साथ ही फुटपाथ की तुलना में यहां बिक्री भी तीन गुना तक बढ़ गयी है.
‘प्रभात खबर’ की टीम मंगलवार को इन दुकानदारों की राय जानने पहुंची. बातचीत के दौरान दुकानदारों ने कहा : हमे तो लगता था कि हमारी जिंदगी फुटपाथ पर ही गुजर जायेगी. लेकिन, अब हम काफी सुकून से दुकानदारी कर रहे हैं. जब सड़क किनारे दुकान लगाते थे, तो जाड़ा, गर्मी, बरसात तीनों ही मौसम हमारे लिए कष्टदायक हुआ करते थे. वहीं, अतिक्रमण हटाने के लिए जब नगर निगम की टीम पहुंचती, तो सामान पीठ पर लाद कर गलियों में भागते थे. लेकिन अब इन सारी झंझटों से मुक्ति मिल गयी है.
दुकानदारों ने कहा
पहले मेन रोड में सड़क किनारे कपड़ा बेचता था. परेशानी ऐसी थी कि जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. अब मार्केट में दुकान मिल गया है. बिक्री भी फुटपाथ के तुलना में दो से तीन गुना बढ़ गयी है.
कृष्णा साव, कुर्ती विक्रेता
सड़क किनारे बैग बेचता था. अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान कई बार पीठ पर सामान लाद कर भागे हैं. लेकिन अब इन परेशानियों से पूरी तरह से छुटकारा मिल गया है. बिक्री भी पहले के तुलना में अधिक है.
सुधीर कुमार, थैला-बैग विक्रेता
मेरी और मुझ जैसे कई लोगों की जिंदगी बदलने के लिए हम निगम के आभारी हैं, हमने सपने में भी नहीं सोचा था कि फुटपाथ दुकानदारों को ऐसी दुकानें भी नसीब होंगी. यहां हमें किसी तरह की परेशानी नहीं है.
मो असलम, कपड़ा विक्रेता
जब सड़क किनारे दुकान लगाते थे, तो मौसम के साथ-साथ पुलिस की मार भी सहनी पड़ती थी. अतिक्रमण अभियान के दौरान तो सामान लेकर गलियों में भागते फिरते थे, लेकिन अब पूरी तरह से निश्चिंत हैं.
अजय साव, थैला-बैग विक्रेता

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