रांची : अपनी मां के लिए चिराग की भावनाएं, दुनिया में कहीं कोई है, जो मेरे जैसा है…

प्रवीण मुंडा रांची : बेल्जियम-निवासी चिराग शूटाइजर मंगलवार को वापस अपने वतन लौट गयी. पिछले कुछ दिनों से रांची में रहकर वह अपने जिंदगी की खोयी हुई कड़ियों की तलाश में थी- जन्म देनेवाली मां की तलाश. इस तलाश के दौरान चिराग ने अपने जन्म स्थान (शहर) को नजदीक से देखा. वह उस स्कूल और […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 17, 2019 8:24 AM
प्रवीण मुंडा
रांची : बेल्जियम-निवासी चिराग शूटाइजर मंगलवार को वापस अपने वतन लौट गयी. पिछले कुछ दिनों से रांची में रहकर वह अपने जिंदगी की खोयी हुई कड़ियों की तलाश में थी- जन्म देनेवाली मां की तलाश. इस तलाश के दौरान चिराग ने अपने जन्म स्थान (शहर) को नजदीक से देखा.
वह उस स्कूल और कॉलेज में भी गयी, जहां कभी उसकी मां पढ़ती थी. उन सड़कों पर भी घूमी, जहां से होकर कभी उसकी मां गुजरी होगी. बेशक, यह तलाश अधूरी रही, पर चिराग की इस तलाश में रांची के मनप्रीत सिंह राजा जैसे कई लोग मिले, जिन्होंने उसकी तलाश में साथ दिया, उसका हौसला बढ़ाया.
जाने से पहले चिराग ने जो संदेश छोड़ा है, वह अत्यंत भावुक है. यह संदेश है- ‘कल्पना करें, जब आप आईने में अपना चेहरा देखते हैं, एक कलर्ड स्किन वाला चेहरा, अौर जहां आप हैं (बेल्जियम) वहां चारों अोर श्वेत लोगों से घिरे हैं.
यह अहसास होता है कि दुनिया में कहीं कोई है, जो मेरी तरह दिखता है. बेल्जियम, जहां मैं रहती हूं, वहां मेरे अंदर श्वेत लोगों की तरह जज्बात हैं. पर भारत में आकर जब मैं यहां की भाषा अौर संस्कृति नहीं समझ पाती, तो मुझे यह अहसास होता है कि मैं यहां के लिए विदेशी हूं. फिर भी मेरे जीवन का हर दिन मुझसे यह सवाल पूछता है कि दरअसल मैं कहां से हूं अौर मेरे जीवन के शुरुआत की कहानी क्या थी.’
अपनी इन भावनाअों के साथ चिराग लौट गयी है. शायद वह भविष्य में फिर कभी लौटे और अपनी अधूरी तलाश पूरी करे. बहरहाल, इस सफर अौर तलाश ने उसे उसकी मां के अौर करीब ला दिया है. पर सवाल यह है कि क्या उसकी मां भी ऐसा ही सोचती है!

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