बिना साधना भगवान का सान्निध्य नहीं मिलता – देवकीनंदन ठाकुर

रांची : बिना साधना के भगवान का सान्निध्य नहीं मिलता है. द्वापर युग में गोपियों को भगवान श्री कृष्ण का सान्निध्य इसलिए मिला, क्योंकि उन्होंने त्रेता युग में ऋषि-मुनियों के जन्म में भगवान के सानिध्य की इच्छा को लेकर कठोर साधना की थी. उक्त बातें आचार्य देवकीनंदन ठाकुर ने वृंदावनधाम हरमू में चल रहे प्रवचन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 17, 2019 1:41 AM

रांची : बिना साधना के भगवान का सान्निध्य नहीं मिलता है. द्वापर युग में गोपियों को भगवान श्री कृष्ण का सान्निध्य इसलिए मिला, क्योंकि उन्होंने त्रेता युग में ऋषि-मुनियों के जन्म में भगवान के सानिध्य की इच्छा को लेकर कठोर साधना की थी.

उक्त बातें आचार्य देवकीनंदन ठाकुर ने वृंदावनधाम हरमू में चल रहे प्रवचन के छठे दिन गुरुवार को कही. उन्होंने पुतना उद्धार एवं श्री कृष्ण की बाल लीलाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला.
उन्होंने कहा कि गोपियों ने श्री कृष्ण को पाने के लिए त्याग किया, परंतु हम चाहते हैं कि हमें भगवान बिना कुछ किये ही मिल जायें. यह असंभव है. उन्होंने प्रवचन करने हुए कहा कि शुकदेव जी महाराज परीक्षित से कहते हैं कि राजन जो इस कथा को सुनता है, उसे भगवान के रसमय स्वरूप का दर्शन होता है. उसके अंदर से काम हट कर श्याम के प्रति प्रेम जागृत होता है.
जब भगवान प्रकट हुए, तो गोपियों ने भगवान से तीन प्रकार के प्राणियों के विषय में पूछा था. एक व्यक्ति वो है, जो प्रेम करने वाले से प्रेम करता है. दूसरा व्यक्ति वो है, जो सबसे प्रेम करता है, चाहे उससे कोई करे या न करे. तीसरे प्रकार का प्राणी प्रेम करने वाले से कोई संबंध नहीं रखता है और न करने वाले से तो कोई संबंध है ही नहीं.
इस मौके पर श्रद्धालु भजन पर झूमते रहे. इस दौरान रुक्मिणी विवाह हुआ. झांकी भी सजायी गयी. आरती में मुख्य यजमान अंजू सिन्हा,अनिल सिन्हा, मनोज निराला, प्रमोद बजाज, किशन डालमिया, प्रमोद सारस्वत, दिलाराम सिंह, संजय शर्मा, प्रकाश राय, संजू झा, श्याम गोयल, दीपक रुंगटा, नरेश जी, राजू जी, उमाशंकर सहित अन्य भक्त शामिल हुए .
भगवान को सच्चे मन से याद करें
रांची़ बरियातू के जोड़ा तालाब स्थित सहजानंद नगर इंद्रप्रस्थ कॉलोनी में चल रहे श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ में गुरुवार को स्वामी पुरुषोत्तम महाराज ने कहा कि पाखंडी नहीं होना चाहिए, बल्कि सच्चे मन से भगवान का सुमिरन करना चाहिए.
सच्चे मन से भगवान की पूजा करने से भगवान भक्त के पास अपने आप चले आते हैं. आज के युग में लोग सनातन धर्म का सही से अनुपालन नहीं कर रहे हैं. इसका परिणाम तो भोगना ही पड़ेगा. उन्होंने कहा कि मनुष्य को सभी कार्य के लिए समय है, लेकिन पूजन के लिए किसी के पास समय नहीं है.

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