रांची :लोकेश चौधरी के बॉडीगार्ड धर्मेंद्र तिवारी ने किया सरेंडर

रांची : रांची पुलिस की छापेमारी के दबाव में आकर डबल मर्डर मामले में धर्मेंद्र तिवारी ने मंगलवार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया. जिसके बाद उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. वह हत्याकांड के मुख्य आरोपी लोकेश चौधरी का बॉडीगार्ड है. पुलिस जल्द ही उसे रिमांड पर ले सकती है. उल्लेखनीय है […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 20, 2019 8:46 AM
रांची : रांची पुलिस की छापेमारी के दबाव में आकर डबल मर्डर मामले में धर्मेंद्र तिवारी ने मंगलवार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया. जिसके बाद उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. वह हत्याकांड के मुख्य आरोपी लोकेश चौधरी का बॉडीगार्ड है. पुलिस जल्द ही उसे रिमांड पर ले सकती है. उल्लेखनीय है कि हत्याकांड में धर्मेंद्र तिवारी की संलिप्तता की बात सामने आ चुकी है. पूर्व में गिरफ्तार लोकेश के बॉडीगार्ड सुनील सिंह ने पुलिस को बताया कि घटना से पहले वह लोकेश के साथ उसके ऑफिस आया था.
गाड़ी लोकेश का ड्राइवर शंकर चला रहा था. इसके बाद लोकेश ने शंकर से कहा कि एमके सिंह और धर्मेंद्र तिवारी हीनू चौक के पास हैं. इसी बीच दोनों व्यवसायी भाई भी लोकेश चौधरी के ऑफिस मोटी रकम लेकर पहुंच चुके थे. खुद को फर्जी आइबी ऑफिसर बताने वाले एमके सिंह ने धर्मेंद्र तिवारी के साथ लोकेश के अॉफिस में रेड किया. लोकेश के टेबल पर रुपये लेकर बैठे दोनों व्यवसायी भाइयों को एमके सिंह ने खुद को आइबी का अधिकारी बताते हुए रुपये उठा लिया. क्योंकि फर्जी रेड कर रुपये हड़पने की योजना पहले से तैयार कर ली गयी थी. योजना के अनुसार ही दोनों व्यवसायी भाइयों के ऑफिस पहुंचने के बाद लोकेश ने एमके सिंह को फोन कर बुलाया था. जब एमके सिंह ने रुपये उठा लिया, तब दोनों भाइयों ने लोकेश से कहा था कि क्या भइया ऑफिस रुपये लेकर बुलाने के बाद फंसा दिये न, रुपये वापस दिला दीजिए.
इस पर लोकेश ने दोनों व्यवसायी भाइयों को आश्वासन दिया कि वह मामले में कुछ करता है. इसके बाद फर्जी रेड में जब्त रुपये को छोड़ने के एवज में अधिक हिस्सा की मांग की जाने लगी. लेकिन दोनों भाई ऐसा करने को तैयार नहीं थे. तब दोनों भाइयों को डराने के लिए एमके सिंह ने पहली फायरिंग पिस्टल से की. इसके बाद भी जब दोनों भाई रुपये छोड़ने को तैयार नहीं हुए, तब दोनों पक्षों के बीच विवाद हो गया. इसके बाद दोनों भाइयों को गोली मार दी गयी.

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