रांची : सरकार सहयोग करे, तो अपने दम पर हार्ट सर्जरी कर सकता है रिम्स

दो चरणों में सात हार्ट सर्जरी कर रिम्स ने साबित की अपनी क्षमता राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के कार्डियोथेरोसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग ने कुल सात हार्ट सर्जरी (इनमें पांच ओपेन हार्ट सर्जरी हैं) कर अपनी क्षमता साबित कर दी है. सोमवार को पांचवीं ओपेन हार्ट सर्जरी की गयी, जो सफल रही. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 5, 2019 7:56 AM
दो चरणों में सात हार्ट सर्जरी कर रिम्स ने साबित की अपनी क्षमता
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के कार्डियोथेरोसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग ने कुल सात हार्ट सर्जरी (इनमें पांच ओपेन हार्ट सर्जरी हैं) कर अपनी क्षमता साबित कर दी है.
सोमवार को पांचवीं ओपेन हार्ट सर्जरी की गयी, जो सफल रही. अब तक हुई हार्ट सर्जरी में डेमो हार्ट लंग मशीन का इस्तेमाल किया गया, जबकि टेक्नीशियन और परफ्यूजनिस्ट निजी अस्पतालों से बुलाये गये थे.
यानी हार्ट सर्जरी में आत्मनिर्भर होने के लिए रिम्स को अब भी खुद की हार्ट लंग मशीन व स्थायी मैन पावर की जरूरत है. सरकार की ओर से ये दोनों ही चीजें रिम्स को जल्द से जल्द उपलब्ध करानी होंगी.
रांची : रिम्स के कार्डियोथेरोसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग में सोमवार को रांची निवासी 38 वर्षीय महिला की ओपेन हार्ट सर्जरी की गयी. इसके तहत महिला के माइट्रियल वाल्व की सर्जरी हुई. यह सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ अंशुल कुमार ने की. इसमें एम्स से आये डॉ देवगुुरु और कार्डियेक एनस्थेटिक डॉ पराग ने सहयोग किया.
सर्जरी दिन के 11 बजे शुरू हुई, जो तीन बजे (चार घंटे बाद) समाप्त हुई. सर्जरी के बाद महिला को कार्डियेक के माॅड्यूलर ओटी से अाइसीयू में शिफ्ट कर दिया गया. फिलहाल उसकी स्थित स्थिर है.
डॉ अंशुल ने बताया कि महिला के वाल्व को नहीं बदला गया. सिकुड़े हुए वाल्व को दुरुस्त कर फैला दिया गया. इससे रक्त का प्रवाह सामान्य हो गया. इससे महिला को अगले 15 साल तक किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी. उसे खून पतला करने वाली दवा भी नहीं लेनी पड़ेगी. वाल्व नहीं बदलने से सरकार का अनावश्यक खर्च बच गया. इधर, रविवार को 15 साल के जिस बच्चे का ऑपरेशन किया गया, वह अब ठीक हो रहा है.
निजी अस्पतालों ने सहयोग देने से मना किया
रिम्स के सीटीवीएस विभाग में हार्ट सर्जरी के लिए मशीन से लेकर उपकरण तक के लिए निजी अस्पतालों से सहयोग लेना पड़ रहा है.
पहले चरण की सर्जरी में आलम अस्पताल ने सहयोग किया था, जबकि दूसरे चरण में सेवन पाम अस्पताल ने सहयोग किया है. सूत्रों की मानें, तो इस बार की सर्जरी में जिन अस्पतालों ने सहयोग किया था, उन्होंने स्पष्ट रूप से सहयोग करने से मना कर दिया है. डॉ अंशुल ने बताया कि सीटीवीएस विभाग अगली बार अपने दम पर सर्जरी करेगा. रिम्स प्रबंधन व सरकार से इस बारे में बातचीत की जायेगी.
हमारे डॉक्टरों की टीम ने यह साबित कर दिया है कि रिम्स में ओपेन हार्ट सर्जरी संभव है. अगर सरकार हमें थोड़ा और सहयोग करें, तो इस प्रक्रिया को नियमित किया जा सकता है. हार्ट लंग मशीन और मैन पावर में अब हमें सरकार का सहयोग चाहिए.
डॉ डीके सिंह, निदेशक, रिम्स

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