बकोरिया एनकाउंटर केस में झारखंड को सुप्रीम झटका, सीबीआइ जांच पर रोक लगाने से कोर्ट का इन्कार

रांची : पलामू जिला में वर्ष 2015 में हुई कथित फर्जी मुठभेड़ की सीबीआइ जांच के मामले में झारखंड पुलिस को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. शुक्रवार को देश की शीर्ष अदालत ने इस मामले की सीबीआइ जांच पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया. इसके साथ ही इस संबंध में दायर एसएलपी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 22, 2019 6:11 PM

रांची : पलामू जिला में वर्ष 2015 में हुई कथित फर्जी मुठभेड़ की सीबीआइ जांच के मामले में झारखंड पुलिस को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. शुक्रवार को देश की शीर्ष अदालत ने इस मामले की सीबीआइ जांच पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया. इसके साथ ही इस संबंध में दायर एसएलपी को कोर्ट ने खारिज कर दिया.

झारखंड के चर्चित बकोरिया मुठभेड़ में सीबीआइ जांच रोकने के लिए झारखंड सरकार की तरफ से स्टैंडिंग काउंसल तपेश कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी दायर की थी. इसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.

एसएलपी में राज्य सरकार की तरफ से सीआइडी के एडीजी अजय कुमार सिंह ने शपथ पत्र दाखिल कर कहा था कि केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसी, राज्य की विशेष शाखा को डॉक्टर अनुराग समेत अन्य माओवादियों के मूवमेंट की जानकारी मिली थी. इसी सूचना के आधार पर कोबरा बटालियन के साथ मिलकर पुलिस ने अभियान चलाया.

ज्ञात हो कि आठ जून, 2015 को पलामू जिला के बकोरिया में कथित मुठभेड़ में माओवादी कमांडर डॉ अनुराग, उदय यादव, एजाज अहमद, जोगेश यादव समेत 12 लोग मारे गये थे. पारा टीचर उदय यादव के पिता जवाहर यादव ने मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए झारखंड हाइकोर्ट में क्रिमिनल रिट दाखिल कर पूरे मामले की सीबीआइ जांच की मांग की थी.

इसी याचिका पर सुनवाई करने के बाद हाइकोर्ट ने पूरे मामले की सीबीआइ जांच के आदेश दिये थे. इस आदेश के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी, जिसे सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दिया.

ये है पूरा मामला

पलामू के सतबरवा के बकोरिया में माओवादियों के साथ सुरक्षा बलों की मुठभेड़ हुई. इसमें माओवादी दस्ते के सदस्य मारे गये. मामले की जांच सीआइडी से भी करायी गयी. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एसएलपी में बताया गया कि सीआइडी की जांच में कोई गड़बड़ी नहीं है. बकोरिया कांड की जांच में सीआइडी ने मुठभेड़ को सही बताया था. कहा था कि मारे गये माओवादियों के खिलाफ आरोप सही पाये गये और क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी गयी.

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