समय, शक्ति और संपति का सदुपयोग करना ही उत्तम विवेक : धर्म गुरु
समय, शक्ति और संपति का सदुपयोग करना ही उत्तम विवेक : धर्म गुरु
प्रतिनिधि, मेदिनीनगर धर्म गुरु डा सत्यकेतु संजय ने मानस कथा के दौरान कई प्रसंगों की चर्चा बड़े ही मार्मिक ढंग से किया. उन्होंने कहा कि समय, शक्ति और संपति का सदुपयोग करना ही उत्तम विवेक है. ऐसे लोगों को संवेदनशील होकर समाजहित में काम करना चाहिए.मानस के प्रसंग की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जटायु व जयंत ने अपनी चोंच का उपयोग अलग-अलग भाव के साथ किया.जटायु ने अबला नारी सीता की सम्मान की रक्षा के लिए रावण पर चोंच से प्रहार किया.जबकि जयंत ने माता सीता के चरण मेंं चोंच से प्रहार कर प्रभु श्रीराम के शक्ति का परीक्षण किया.उन्होंने कहा कि जटायु ताकतवर होते हुए भी संवेदनशीलता के साथ काम किया.इस तरह समाज की बेहतरी के लिए लोगों को मानस के संदेशों को अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए. वृंदावन से पधारी मानस कोकिला ज्ञांति तिवारी ने कहा कि परमात्मा की भक्ति में ही मानव जीवन की सार्थकता है. पूरी श्रद्धा व भक्ति भाव के साथ परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए. उन्होंने श्रीरामचरित मानस के संदेशों का उल्लेख करते हुए कहा कि जिसका मन पवित्र व निर्मल होता है, वहीं परमात्मा को प्रिय है. परम दयालु परमात्मा की कृपा प्राप्त करने के लिए विषयों का त्याग कर निर्मल मन से उनकी भक्ति करनी चाहिए.जब संसार में अधर्म का प्रभाव बढ़ता है और दूराचारियों व अत्याचारियों का प्रादुर्भाव होता है.ऐसी स्थिति में धर्म की स्थापना व सज्जनों की रक्षा के लिए विविध रूपों में भगवान अवतरित होते है. मानस प्रवक्ता ओम प्रकाश दुबे ने श्रीरामचरित मानस के कई प्रसंगों की चर्चा की. मौके पर यज्ञ समिति के अध्यक्ष भरत सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष कृष्ण मोहन पांडेय, मनीष भिवानियां, रविशंकर पांडेय सहित काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे.
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