किसानों को मिला राइजोबियम कल्चर से चना बीज शोधन का प्रशिक्षण
पाकुड़ के महेशपुर कृषि विज्ञान केंद्र एवं आत्मा पाकुड़ के संयुक्त तत्वावधान में जयकिष्टोपुर पंचायत भवन में चना फसल की उत्पादकता बढ़ाने हेतु राइजोबियम कल्चर द्वारा बीज शोधन प्रशिक्षण और लाइव डिमॉन्सट्रेशन आयोजित किया गया। 175 किसानों को चना बीज साथ ही 25 किसानों को राइजोबियम कल्चर और गुड़ प्रदान किए गए ताकि वे बीज शोधन कर सकें। प्रशिक्षण में बीज शोधन के आवश्यक सावधानियों के साथ अन्य फसलों में एजोटोबेक्टर एवं पीएसबी कल्चर के उपयोग की जानकारी भी दी गई, जिससे रासायनिक उर्वरकों की कमी और उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी। कार्यक्रम में कृषि अधिकारी एवं कई किसान मौजूद थे।
175 किसानों के बीच चना बीज का किया गया वितरण संवाददाता, पाकुड़. अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत चना फसल की उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से राइजोबियम कल्चर द्वारा बीज शोधन का प्रशिक्षण एवं लाइव डिमॉन्सट्रेशन का आयोजन बुधवार को जयकिष्टोपुर पंचायत भवन में किया गया. वहीं 25 किसानों को एक-एक पैकेट राइजोबियम कल्चर एवं गुड़ उपलब्ध कराया गया, ताकि वे अपने स्तर पर बीज शोधन कर सकें. यह कार्यक्रम कृषि विज्ञान केन्द्र, महेशपुर, पाकुड़ एवं आत्मा, पाकुड़ के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ. प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केन्द्र, महेशपुर, पाकुड़ की वैज्ञानिक (उद्यान) डॉ. किरण मेरी कंडीर तथा आत्मा पाकुड़ के प्रखंड तकनीकी प्रबंधक मुहम्मद शमीम अंसारी द्वारा प्रदान किया गया. रबी मौसम 2025–26 के दौरान एनएफएसएनएम योजना (टर्फा) अंतर्गत आत्मा पाकुड़ द्वारा 175 किसानों के बीच चना बीज का वितरण किया गया है. डॉ. किरण मेरी कंडीर व तकनीकी प्रबंधक मुहम्मद शमीम अंसारी ने बताया कि किसानों को बीज शोधन के दौरान आवश्यक सावधानियों की जानकारी दी गयी. 100 ग्राम राइजोबियम कल्चर का एक पैकेट लगभग डेढ़ बीघा बीज शोधन के लिए पर्याप्त होता है. साथ ही राइजोबियम कल्चर की उपलब्धता एवं प्राप्ति के स्रोतों की जानकारी भी दी गयी. किसानों द्वारा अन्य फसलों जैसे गेहूं, लहसुन एवं प्याज में जीवाणु कल्चर से बीज शोधन के संबंध में पूछे गए प्रश्नों पर प्रखंड तकनीकी प्रबंधक मुहम्मद शमीम अंसारी द्वारा एजोटोबेक्टर एवं पीएसबी (फॉस्फेट सॉल्युबिलाइजिंग बैक्टीरिया) कल्चर से बीज शोधन की संपूर्ण प्रक्रिया की जानकारी दी गयी. उन्होंने बताया कि एजोटोबेक्टर के प्रयोग से फसलों को वायुमंडल से प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन प्राप्त होती है, जबकि पीएसबी कल्चर के प्रयोग से मिट्टी में उपलब्ध फिक्स फास्फोरस पौधों को घुलनशील रूप में प्राप्त होती है. इससे रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी आती है तथा फसल उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि होती है. इस अवसर पर प्रखंड कृषि पदाधिकारीनारद मंडल, एटीएम खालिदा खातून , किसान मित्र मोहम्मद समसुज्जोहा राहुल भट्टाचार्य सहित किसान उपस्थित थे.
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