झरने के पानी से बुझती है प्यास, एक चापाकल जरूरी

झरने के पानी से बुझती है प्यास, एक चापाकल जरूरी

By Prabhat Khabar News Desk | July 20, 2025 5:40 PM

सुजीत कुमार मंडल, लिट्टीपाड़ा प्रखंड के जामजोड़ी पंचायत अंतर्गत कामची गांव में रविवार को “प्रभात संवाद ” कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें ग्रामीणों ने प्रशासन के समक्ष अपनी समस्याएं रखीं. यह गांव लिट्टीपाड़ा प्रखंड से लगभग 20 किलोमीटर दूर, चारों ओर पहाड़ों से घिरा हुआ है और करीब 170 की आबादी वाले 20 परिवारों का बसेरा है. ग्रामीणों ने मुख्य रूप से सड़क, पेयजल और आंगनबाड़ी की समस्या उठाई. गांव में सड़क नहीं होने के कारण लोग अब भी पथरीली पगडंडी से आना-जाना करते हैं. बारिश में हालात और भी खराब हो जाते हैं. गांव में एक भी चापाकल नहीं है, जिससे लोग झरनों का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. आंगनबाड़ी केंद्र न होने से बच्चों को पोषाहार और प्रारंभिक शिक्षा नहीं मिल पा रही. नजदीकी केंद्र भी गांव से 5 किलोमीटर दूर दसगोड़ा में है. इसके अलावा, आवास योजनाओं और रोजगार के साधनों से भी ग्रामीण वंचित हैं. गांव में किसी प्रकार का स्थायी रोजगार नहीं है, लोग केवल पहाड़ी खेती पर निर्भर हैं, जिससे आर्थिक स्थिति कमजोर है. ग्रामीणों ने प्रशासन से सड़क निर्माण, आंगनबाड़ी केंद्र की स्थापना, पेयजल के लिए डीप बोरिंग, और मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराने की मांग की है. क्या कहते हैं ग्रामीण गांव में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं होने के कारण छोटे बच्चों को पोषण युक्त आहार और शिक्षा नहीं मिल पाती है. गांव में आंगनबाड़ी केंद्र की व्यवस्था होनी चाहिए. देबी पहाड़िन

गांव तक पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं है. हम लोग मजबूरी में पथरीली पगडंडी के सहारे आवागमन करने को विवश हैं. सड़क नहीं होने के कारण गांव में कोई विकास कार्य नहीं हो रहा है.

शोभना पहाड़िया

गांव में रोजगार का कोई साधन नहीं है. मनरेगा योजना के तहत भी कोई काम नहीं चल रहा है. रोजगार की तलाश में हमें गांव से बाहर जाना पड़ता है.

सुरजी पहाड़िन

गांव में पेयजल की घोर समस्या है. गर्मी के दिनों में ग्रामीणों को दो किलोमीटर दूर से पानी लाने को विवश होना पड़ता है.

बुदनी पहाड़िन

गांव में मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है. विशेषकर पेयजल और स्वास्थ्य सुविधा का अभाव है. प्रशासन को गांव में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने की पहल करनी चाहिए.

देबा पहाड़िया

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