आदिम जनजाति समुदाय से जुड़ी सिल्विया ने संघर्ष से बदली अपनी तकदीर
सफल उद्यमी के रूप में अपनी पहचान कायम करते हुए सिल्विया के संघर्ष व सफलता की कहानी गांव-गांव में मिसाल बन चुकी है.
हिरणपुर. प्रखंड अंतर्गत तेलोपाड़ा गांव की आदिम जनजाति समुदाय से जुड़ी सिल्विया पहाड़िन कभी जंगलों में लकड़ी चुनकर अपने परिवार का पेट पालती थी. इनका जीवन संघर्षों से भरा था, लेकिन आज वह अपनी साहस, मेहनत और लगन के दम पर सैकड़ों महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं. ग्रामीण विकास विभाग की पहल पलाश जेएसएलपीएस द्वारा संचालित सन 2022 में गुलाब फूल सखी मंडल से जुड़कर सिल्विया ने अपने जीवन की दिशा बदली. उन्होंने सखी मंडल से जुड़कर छोटी-छोटी बचत करनी सीखी है. इसके बाद पलाश जेएसएलपीएस द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त कर सखी मंडल से पहली बार 10 हजार रुपये का ऋण ली. उस राशि से 200 मुर्गी लेकर सफर की पहली सीढ़ी चढ़ी. 200 मुर्गी का पालन कर 55 हजार रुपये तक की कमाई की. फिर दूसरे चरण में 30 हजार रुपये ऋण प्राप्त कर 1000 मुर्गी का पालन कर 96 हजार रुपये की कमाई की. साथ ही अब तक सिल्विया पहाड़िन मुर्गीपालन के व्यवसाय के जरिए 1.5 लाख से 2 लाख रुपये तक कमाई कर चुकी है. उस राशि से अपने अधूरे सपनों को पूरा करने में लग रही है. सिल्विया पहाड़िन ने अब बड़े पैमाने पर मुर्गीपालन की योजना बनायी है, जहां एक बार में 2 हजार से 5 हजार मुर्गी रख सके. शुरुआती कठिनाइयों के बावजूद सिल्विया ने हार नहीं मानी. आज वही व्यवसाय उन्हें लाखों की आमदनी दिला रहा है. सिल्विया न केवल खुद आत्मनिर्भर बनी हैं, बल्कि उन्होंने गांव की अन्य महिलाओं को भी इस रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया है. वह अब एक सफल उद्यमी के रूप में जानी जाती हैं और उनके संघर्ष व सफलता की कहानी गांव-गांव में मिसाल बन चुकी है.
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