पशुपालन से किया अपनी आमदनी में इजाफा, बनी परिवार का मजबूत सहारा

पशुपालन कर परिवार का मजबूत सहारा बनीं मरांगबीटी

By Prabhat Khabar News Desk | August 24, 2025 7:05 PM

प्रतिनिधि, हिरणपुर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (पलाश) आदिवासी समुदाय व विशेष पिछड़ी जनजाति की महिलाओं के जीवन में बड़ा बदलाव लाया है. सखी मंडल के माध्यम से मिली आर्थिक मदद, प्रशिक्षण और कड़ी मेहनत से वे अपनी आमदनी में वृद्धि कर अपने परिवार का एक मजबूत सहारा बन पा रही हैं. आदिवासी समुदाय की मरांगबीटी टुडू, जो गुलाब बहा सखी मंडल से जुड़कर कड़ी मेहनत और समर्पण से लखपति दीदी बनने का सफर तय कर चुकी हैं. सखी मंडल से जुड़ने से पहले पाकुड़ जिले के हिरणपुर प्रखंड के ग्राम पंचायत विपतपुर की रहने वाली मरांगबीटी टुडू पश्चिम बंगाल में दिहाड़ी मजदूरी कर सालाना 30 हजार से 35 हजार रुपये के बीच कमा पाती थीं. अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए उन्होंने ग्रामीण विकास विभाग, पलाश, झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के तहत सखी मंडल से जुड़ने का निर्णय लिया. समूह से जुड़ने के बाद मरांगबीटी टुडू को सीआईएफ के तहत बैंक लिंकेज लोन के माध्यम से 40 हजार रुपये की आर्थिक सहायता मिली. इस सहायता से उन्होंने बकरी पालन और मुर्गी पालन का कार्य शुरू किया. मरांगबीटी टुडू ने इस राशि का निवेश मुर्गी और बकरी पालन में किया. मुर्गियों को पालकर उन्होंने 350 मुर्गी में से 300 को बेचकर लगभग एक लाख रुपये की कमाई की. साथ ही बकरी पालन से उन्हें 60 हजार रुपये की आय प्राप्त हुई. आज बकरी पालन और मुर्गी पालन के जरिए मरांगबीटी की वार्षिक आमदनी लगभग 1.65 लाख रुपये तक पहुंच गई है. जेएसएलपीएस द्वारा संचालित सखी मंडल से मिली मदद और कड़ी मेहनत से मरांगबीटी ने सफलता हासिल की है. आज वह अपने गांव में आत्मनिर्भरता की एक मिसाल बन चुकी हैं. महिला किसान मरांगबीटी टुडू ने बताया कि मैं पश्चिम बंगाल में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करती थी. जिससे गुजारा तो हो जाता था लेकिन भविष्य की चिंता सता रही थी. मैं अपने गांव लौटकर सखी मंडल से जुड़कर ऋण लेकर अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया. आज मैं सालाना लाखों रुपये कमा रही हूं. आज मैं बहुत खुश हूं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है