बड़ाकुड़िया गांव के लोग आज भी झरने का पानी पीने को विवश
लिट्टीपाड़ा. लिट्टीपाड़ा प्रखंड की करमाटांड़ पंचायत अंतर्गत बड़ा कुड़िया गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है.
उदासीनता. राज्य बनने के 25 साल बाद भी गांवों की नहीं बदली तस्वीर
सुजीत कुमार मंडल, लिट्टीपाड़ाझारखंड अलग राज्य बने 25 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन लिट्टीपाड़ा प्रखंड की करमाटांड़ पंचायत अंतर्गत बड़ा कुड़िया गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है. गांव के सभी परिवार आज भी पीने के लिए झरने के पानी पर निर्भर हैं, जिससे ग्रामीण लगातार बीमारियों की चपेट में आते रहते हैं. ग्रामीण रामी पहाड़िन, चांदी पहाड़िन, सिमोन पहाड़िया, दुखना पहाड़िया और जावरी पहाड़िन ने बताया कि गांव के दो टोला मिलाकर कुल 18 परिवारों के लगभग 218 लोग रहते हैं. आजादी के बाद से अब तक गांव में एक भी चापाकल नहीं लगा है. ग्रामीणों को अपनी प्यास बुझाने के लिए पहाड़ी के ढलान पर स्थित झरने पर ही निर्भर रहना पड़ता है. गर्मी के दिनों में जब झरने में पानी कम हो जाता है, तो पानी बेहद गंदा हो जाता है. इसी झरने से ग्रामीण और मवेशी दोनों पानी पीते हैं, जिस कारण गांव में बीमारी बढ़ती जा रही है. ग्रामीणों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है. बरसात के दिनों में स्थिति और भी खराब हो जाती है, क्योंकि पहाड़ों से बहकर आने वाला गंदा पानी नाले में मिलकर पूरी तरह दूषित हो जाता है.
सड़क भी नहीं पहुंचना भारी मुसीबत
प्रखंड मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर बसे इस गांव तक पहुंचना भी किसी चुनौती से कम नहीं है. ग्रामीणों के अनुसार गांव से मुख्य सड़क तक लगभग पांच किलोमीटर तक सड़क नहीं है. पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है, जिससे बीमार, बुजुर्ग और बच्चों को सबसे अधिक परेशानी होती है. इतना ही नहीं, गांव के दो टोला को जोड़ने के लिए भी सड़क नहीं बनाई गई है, जिससे आंतरिक आवागमन भी कठिन बना हुआ है.
ग्रामीण जलापूर्ति योजना से अब तक वंचित हैं ग्रामीण
पहाड़िया आदिम जनजाति परिवारों तक पाइपलाइन से पानी पहुंचाने के लिए सरकार ने करीब 217 करोड़ रुपये की योजना शुरू की थी. योजना को आरंभ हुए लगभग आठ वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन काम अब तक पूरा नहीं हो पाया है. कई गांवों में पाइपलाइन बिछा दी गयी है, लेकिन बड़ा कुड़िया गांव आज भी इस सुविधा से वंचित है. पाइपलाइन गांव तक नहीं पहुंच पाई है, जिससे ग्रामीणों में नाराजगी है. बड़ा कुड़िया गांव की यह स्थिति सरकार की योजनाओं की हकीकत बयां करती है, जहां आज भी लोग मूलभूत अधिकार माने जाने वाले साफ पीने के पानी और सड़क जैसी सुविधाओं से वंचित हैं. ग्रामीण लगातार मांग कर रहे हैं कि उनकी समस्याओं को प्राथमिकता देते हुए जल्द से जल्द समाधान किया जाए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
