नाडेप व वर्मी कम्पोस्ट से बढ़ी किसानों की आय
मनरेगा की सफलता से बदली ग्रामीण तस्वीर. यह पहल रोजगार सृजन, जैविक कृषि, पर्यावरण संरक्षण एवं आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में सफल मॉडल है.
पाकुड़. महेशपुर प्रखंड के ग्राम पंचायत कनिझाड़ा स्थित ग्राम नुराई में मनरेगा योजना अंतर्गत संचालित योजना ग्रामीणों के जीवन में सकारात्मक बदलाव की मिसाल बनकर उभरी है. यह पहल रोजगार सृजन, जैविक कृषि, पर्यावरण संरक्षण एवं आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सफल मॉडल के रूप में सामने आयी है. वित्तीय वर्ष 2024–25 में ग्राम सभा के माध्यम से चयनित एवं पंचायत स्तर से स्वीकृत योजना के तहत नाडेप निर्माण कराया गया. इसके माध्यम से गोबर, खेतों से निकलने वाले जैविक अपशिष्ट एवं अन्य कार्बनिक सामग्री का उपयोग कर उच्च गुणवत्ता वाली वर्मी कम्पोस्ट (जैविक खाद) तैयार की गयी. लगभग 60–70 दिनों में तैयार हुई इस जैविक खाद का उपयोग लाभुक द्वारा अपने खेतों एवं सब्जी उत्पादन में किया गया, जिसके परिणामस्वरूप मिट्टी की नमी, उर्वरता तथा उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गयी. सब्जियों के आकार, स्वाद एवं गुणवत्ता में भी पूर्व की तुलना में स्पष्ट सुधार हुआ. लाभुक माया रविदास ने बताया कि पूर्व में रासायनिक खाद के प्रयोग से लागत अधिक आती थी तथा अपेक्षित उत्पादन नहीं मिल पाता था, जबकि वर्मी कम्पोस्ट के प्रयोग से कम लागत में बेहतर उत्पादन संभव हुआ है. इसके साथ ही वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय से उन्हें 3500 से 4000 रुपये तक की अतिरिक्त आय भी प्राप्त हुई, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है. बीडीओ डॉ सिद्धार्थ शंकर यादव ने कहा कि मनरेगा अंतर्गत संचालित योजनाओं का उद्देश्य केवल रोजगार उपलब्ध कराना नहीं, बल्कि ग्रामीणों की आय में वृद्धि, टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना एवं पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करना है. नाडेप एवं वर्मी कम्पोस्ट जैसी योजनाएं किसानों के लिए कम लागत में अधिक लाभ का सशक्त माध्यम हैं और भविष्य में अधिक से अधिक ग्रामीणों को इससे जोड़ा जाएगा.
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