किस्को में आज भी बदहाली भरा जीवन गुजार रहे हैं टाना भगत, सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगाते गुजरता है दिन

तरा टाना भगत के सिद्धांत पर चलने वाले गांधीवादी टाना भगत आज भी गुमनामी व तंगहाली जीवन जीने को मजबूर हैं. सादा जीवन व उच्च विचार रखनेवाले लोग आज खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.

By Prabhat Khabar | August 12, 2021 1:27 PM

किस्को : महात्मा गांधी के अनुयायी कहे जानेवाले व जतरा टाना भगत के सिद्धांत पर चलने वाले गांधीवादी टाना भगत आज भी गुमनामी व तंगहाली जीवन जीने को मजबूर हैं. सादा जीवन व उच्च विचार रखनेवाले लोग आज खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. आत्म स्वाभिमान के धनी टाना भगत अभी भी डीसी व अंचल कार्यालय में आवेदन लेकर दिखायी देते हैं. उनकी मूल समस्या जमीन विवाद है. उनकी जमीन को लोगों ने अवैध तरीके से हथिया लिया हैं, लेकिन कई लोगों के पास दस्तावेज नहीं हैं और सरकारी कार्यालयों में दलाली के आगे वह टिक नहीं पाते हैं.

यहीं कारण है कि अधिकांश लोग इधर-उधर चक्कर लगाते देखे जाते हैं. इन लोगों की जमीनों पर आज भी लोग अवैध कब्जा करने में लगे हैं. जगह-जगह पर जमीन पर कब्जा कर अवैध रूप से आवास निर्माण किया जा रहा है. सरकार ने टाना भगत प्राधिकार का गठन किया है, लेकिन अभी तक जिले में टाना भगतों को कोई लाभ नहीं मिला है. किस्को में टाना भगतों की संख्या 368 हैं, जो कि 44 परिवार के सदस्य हैं.

उनके पास अभी रहने के लिए पक्का मकान नहीं है. अधिकांश लोगों के पास आधार कार्ड भी नहीं है. गिने-चुने लोगों को गोपालन के लिए गाय उपलब्ध करायी गयी है. कुछ दिन पूर्व उपायुक्त ने खेती के लिए ट्रैक्टर व अन्य उपकरण उपलब्ध कराये. प्रखंड में सबसे अधिक टाना भगतों की संख्या खरकी पंचायत के सेमरडीह गांव में है, यहां टाना भगत के 28 परिवार रहते हैं. वहीं कोचा में पांच परिवार, बंजारी में दो परिवार व खरकी में दो परिवार रहते हैं. इसके अलावा आरेया पंचायत के निरहू व अन्य जगहों पर भी टाना भगत रहते हैं.

निरहू निवासी शिव शंकर टाना भगत, मुन्ना टाना भगत, धर्म सहाय, आनंद, बुद्धेश्वर, आजाद, रौशन, मंगल, सुरेश, पही, गोवर्धन देवकी, बिरसा, महावीर, दुर्गा, कर्मवीर, सुखराम, विनोद, लक्ष्मण, बुध देव, सीताराम टाना भगत व पंचायत के अन्य गांवों को मिला कर प्रखंड में लगभग 44 परिवार का टाना के हैं. इसमें से अभी तक मात्र गिने-चुने व्यक्ति को ही आवास योजना का लाभ मिला है. वहीं कई लोग जर्जर आवाज में रहने को मजबूर हैं.

किसी तरह टाना भगतों का घर परिवार चल रहा है तथा भरण-पोषण हो रहा है. टाना भगतों को जर्जर आवास में रहने में परेशानी हो रही है. खासकर बारिश के दिनों में टाना भगतों को काफी परेशानी होती है. कोई भी सरकारी योजनाओं का लाभ सही प्रकार से उनलोगों को नहीं मिल पाता है. टाना भगत आज भी राष्ट्रीय ध्वज की पूजा करते हैं और गांधी जी को अपना आदर्श मानते हैं, लेकिन गरीबी तंगहाली व सरकारी उपेक्षा ने उन्हें निराश कर दिया है.

सीओ ने कहा:

इस मामले पर अंचल अधिकारी बुड़ाय सारू का कहना है कि टाना भगत को अब एक रुपये का लगान नहीं देना है. पहले एक रुपये राशि देनी पड़ती थी. वहीं उन लोगों को गाय पालन व अन्य योजना का लाभ विभिन्न विभागों से समय समय पर दी जाती रही है.

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