शृंगार करके करेंगी व्रत, कच्चे धागे से बांधेंगी अखंड सौभाग्य की कामना ( फोटो )

हिंदू संस्कृति की गौरवशाली परंपरा और स्त्री धर्म की आस्था का प्रतीक वट सावित्री व्रत सोमवार को श्रद्धा, भक्ति और पारंपरिक उल्लास के साथ मनाया जायेगा.

By VIKASH NATH | May 25, 2025 9:55 PM
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25कोडपी 16 बाजार में उमड़ी व्रती महिलाओं की भीड़. 25कोडपी17 सामग्री खरीदते महिलाएं. प्रतिनिधि झुमरीतिलैया. हिंदू संस्कृति की गौरवशाली परंपरा और स्त्री धर्म की आस्था का प्रतीक वट सावित्री व्रत सोमवार को श्रद्धा, भक्ति और पारंपरिक उल्लास के साथ मनाया जायेगा. सुहागन महिलाएं पति की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और संतान प्राप्ति की कामना करते हुए वट वृक्ष की पूजा करेंगी. इस दिन सोलह शृंगार में सजी महिलाएं, बरगद के वृक्ष के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर परिक्रमा करेंगी और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनकर अखंड सौभाग्य की मन्नत मांगेंगी. इस वर्ष अमावस्या तिथि का आरंभ 26 मई को सुबह 10:54 बजे से हो रहा है, जो 27 मई को सुबह 8:30 बजे तक रहेगा. इसी दिन शनैश्चर जयंती भी पड़ रही है, जिससे यह व्रत और भी अधिक पुण्यकारी और शुभ फलदायक हो गया है. मेंहदी, चूड़ी और पंखों की दुकानों में दिनभर लगी रही कतारें झुमरी तिलैया के बाजारों में वट सावित्री व्रत को लेकर जबरदस्त चहल-पहल देखने को मिली. स्टेशन रोड, झंडा चौक, खुदरा पट्टी और रांची-पटना रोड पर पूजन सामग्री, फल, चूड़ी और कपड़ों की दुकानों में भारी भीड़ उमड़ी. बिग बाजार के पास मेंहदी लगाने के लिए महिलाओं की लंबी कतारें लगी रहीं. ताड़ के पंखे 20 से 40 रुपये, प्लास्टिक के पंखे 10 से 30 रुपये, और केला 40 से 80 रुपये दर्जन बिके, इसके अलावा तरबूज, आम, लीची और सेब की बिक्री भी खूब हुई. सोमवार को महिलाएं सोलह शृंगार में सजकर शहर के प्रमुख वट वृक्षों के नीचे पूजा-अर्चना करेंगी. कोडरमा प्रखंड मुख्यालय, सामंतो पेट्रोल पंप, अड्डी बंगला, दुर्गा मंडप, देवी मंडप रोड, असनाबाद, इंदरवा के देवी मंडप सहित दर्जनों स्थानों पर व्रती महिलाएं जुटेंगी. बांस के पंखे से वट वृक्ष की हवा झेलने की परंपरा भी निभाई जायेगी, जिसकी मान्यता है कि इससे पति का मन-मस्तिष्क शीतल रहता है. इस पूजा में कपड़े के बने सत्यवान-सावित्री की मूर्ति, बांस का डलिया, लाल धागा, चूड़ियां, बांस के पंखे आदि पूजन सामग्री का विशेष महत्व है. यही वजह है कि बाजारों में इन सामग्रियों की खरीदारी उत्सव की तरह की गयी. मान्यता है कि जिस प्रकार सावित्री ने सत्यवान को यमराज से बचाया, उसी प्रकार यह व्रत पति की लंबी आयु और पारिवारिक सुख-समृद्धि का प्रतीक बन गया है. वट वृक्ष के चारों ओर कच्चे धागे को सात बार लपेटते हुए महिलाएं दांपत्य जीवन की मजबूती और सुख की प्रार्थना करती हैं.

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