मनुष्य अहंकार के कारण दुखी है: निर्मला
जैन धर्म का महान पर्व दशलक्षण पर्यूषण पर्व का दूसरा दिन उत्तम मार्दव धर्म के रूप में मनाया गया.
झुमरीतिलैया. जैन धर्म का महान पर्व दशलक्षण पर्यूषण पर्व का दूसरा दिन उत्तम मार्दव धर्म के रूप में मनाया गया. स्टेशन रोड बड़ा जैन मंदिर के मूल वेदी में प्रथम अभिषेक राकेश जैन छाबड़ा ओर शांतिधारा का सौभाग्य नंद किशोर जैन बड़जात्या, आदिनाथ भगवान की वेदी में विजय जैन सेठी के परिवार को प्राप्त हुआ. भगवान का मंगल विहार कर सरस्वती भवन में प्रथम अभिषेक अजित जैन गंगवाल, शांतिधारा संजय अजय बड़जात्या ओर दूसरी ओर से अनिल जैन बड़जात्या परिवार को प्राप्त हुआ. नये मंदिर में प्रथम अभिषेक एवं शांतिधारा पूजन विभाग के संयोजक अजय सोनिया जैन काला परिवार को मिला. मौके पर सरस्वती भवन में जयपुर से आई निर्मला दीदी ने अपने अमृतमय प्रवचन में कहा कि फूलों के समान मन के भाव का होना ही मार्दव धर्म है, कोमलता हर जीव को पसंद है. अतः मृदुभाषी बने उत्तम मार्दव धर्म पर लोगों को समझाते हुए कहा कि आज मनुष्य अहंकार के कारण ही दुखी है. अगर मनुष्य अहंकार न करे, तो उसका जीवन सरलता की ओर बढ़ जायेगा. चित्त में मृदुता और व्यवहार में विनम्रता ही मार्दव धर्म है, यह मान कषाए के अभाव में प्रकट होता है. जाति, कुल, रूप, ज्ञान, तप, वैभव, प्रभुत्व और संपत्ति का गुणगान करना इतराना ही अहंकार है. दिन में तत्वार्थ सूत्र की पूजन और विवेचना दीदी ने कराया. समाज के पंडित अभिषेक शास्त्री ने प्रवचन किया. संध्या में आरती व सांस्कृतिक कार्यक्रम का उद्घाटन परियोजना निदेशक सुनीता जैन छाबड़ा, देशना जैन छाबड़ा ने दीप प्रज्जवलित कर किया. इस दौरान विजेता रहे प्रतिभागी को सुशील-शशि जैन छाबड़ा द्वारा पुरस्कृत किया गया. मौके पर दशलक्षण के संयोजक, समाज के मीडिया प्रभारी नवीन जैन, राजकुमार अजमेरा आदि मौजूद थे.
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