सरसों की खेती के लिए दोमट मिट्टी जरूरी
रवि की तेलहनी फसल में सरसों एक ऐसी फसल है, जिसमें 45 प्रतिशत शुद्ध तेल होता है.
जयनगर. रवि की तेलहनी फसल में सरसों एक ऐसी फसल है, जिसमें 45 प्रतिशत शुद्ध तेल होता है. इसकी खेती सीमित सिंचाई की दशा में भी लाभदायक होता है, सरसों की फसल अक्तूबर से दिसंबर माह तक लगायी जाती है. कई जगहों पर गेहूं के साथ भी लगाया जाता है. इसकी जानकारी देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र जयनगर कोडरमा के एग्रोफारेस्ट्री ऑफिसर रूपेश रंजन ने बताया कि इसकी खेती के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान जरूरी है. इसके लिए रेतीली दोमट मिट्टी एवं हल्की दोमट मिट्टी उपयुक्त है. जल निकासी का उचित प्रबंध होना चाहिये. खेत की तैयारी बरसात के मौसम में मिट्टी पलटने वाले हाल से करें. इसके बाद तीन-चार जुताई करे, पाटा अवश्य लगायें. दीमक और जमीन के अन्य कीड़े मकोड़े की रोकथाम के लिए क्यूनालफांस 1-5 प्रतिशत चूर्ण बनाकर खेतों में बिखेरकर जुताई करें. उन्होंने उन्नत किस्मों की जानकारी देते हुए बताया कि टी 36, पी 30, 28, शिवानी, उषा बोल्ड, सरसों 25, पीटी 30, तापेश्वरी, भवानी टी-9 आदि शामिल हैं. उन्होंने बताया कि 8 से 10 टन सड़ा गला गोबर की खाद, नाइट्रोजन 90 किलो, फास्फोरस 20 किलो यूरिया की आधी मात्रा एवं फास्फोरस की पूरी मात्रा बुवाई के समय नाइट्रोजन प्रथम सिंचाई के साथ फसल में डालें. पहली सिंचाई 30 से 35 दिन पर फूल आने पर करें. दूसरी सिंचाई 70 से 80 दिन पर करें. हीरक तितली लगने पर क्यूनालफांस काजल गांव करें. सफेद रोली होने पर मेकाजेब 75 प्रतिशत 800 से1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
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