सैनिक स्कूल तिलैया का 63वां स्थापना दिवस
सैनिक स्कूल तिलैया का 63वां स्थापना दिवस मंगलवार को मनाया गया.
कोडरमा. सैनिक स्कूल तिलैया का 63वां स्थापना दिवस मंगलवार को मनाया गया. बतौर मुख्य अतिथि स्कूल के 1965-72 बैच के विद्यार्थी सह झारखंड सरकार की सेवा से सेवानिवृत्त अधिकारी डॉ रामकिशोर शर्मा, विशिष्ट अतिथि पूर्ववर्ती छात्र गौतम सामंता व डीसी ऋतुराज ने अमर तिलैयन पर पुष्प-चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. इसके बाद अतिथियों व पूर्व सैन्य-छात्रों ने सैनिक स्कूल तिलैया के संस्थापक प्राचार्य लेफ्टिनेंट कर्नल लेग स्मिथ की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की. अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की. कार्यक्रम के दौरान विद्यालय के अंग्रेजी भाषा लैब का उदघाटन अतिथियों ने किया. साथ ही विद्यालय की पत्रिका व टी-शर्ट का अनावरण किया. मुख्य अतिथि डॉ रामकिशोर ने वर्तमान में अध्ययनरत सैन्य-छात्रों को सदैव अग्रे सरत सर्वदा के उद्देश्य का अनुपालन करते रहने पर बल दिया. सैनिक स्कूल तिलैया के प्राचार्य कर्नल एस मोहनराव आर ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए विद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला. कहा कि यह पूर्व-सैन्य-छात्रों की परंपरा का प्रभाव है कि वर्तमान सैन्य-छात्र भी सैनिक स्कूल तिलैया के चिरंतन मूल्यों को यथावत अपने हृदय में लेकर चल रहे हैं. समाज के विभिन्न क्षेत्रों में न केवल कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं. धन्यवाद ज्ञापन भारतीय सेना शिक्षा कोर के अधिकारी सह उप-प्राचार्य लेफ्टिनेंट कर्नल लालनुन सियामा ने किया. कार्यक्रम में भारतीय जल सेना के नव-युवा प्रशासनिक अधिकारी कमांडर प्रशांत बिरादर, राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ अध्यापक मनोरंजन पाठक व अन्य शामिल हुए. उत्कृष्ट प्रदर्शन पर मिला सम्मान: कार्यक्रम में सैन्य-छात्रों व उनके 12 हाउस के बीच उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर कॉक-हाउस ट्रॉफी, अकादमिक ट्रॉफी अमिताभ राज स्मृति पुरस्कार, 2 के आरके स्मृति पुरस्कार, योगेंद्र स्पोर्ट्स पुरस्कार, कर्नल पराशर कुमार पुरस्कार, मेजर मनोज स्कॉलरशिप, मेजर आशुतोष स्कॉलरशिप, जेएंडबी उप-क्षेत्र श्रेष्ठ सैन्य-छात्रा पुरस्कार, प्रकाश झा स्कॉलरशिप, आरआर अवध्या स्कॉलरशिप दिये गये. साथ ही विज्ञान-प्रदर्शनी विजेता पुरस्कार,अंग्रेजी वक्तृता पुरस्कार का वितरण किया गया. इसके अलावा उत्कृष्ट कार्य को लेकर शिक्षकों को गुरु सम्मान से नवाजा गया. बाद में कार्यक्रम पूरी तरह पूर्व सैन्य-छात्रों के ‘गोल्डन जुबली बैच 1974-75 से 1982’ के नाम रहा. इस दौरान पूर्व ‘तिलैयन सैन्य-छात्रों ने विद्यालय व सैन्य-छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखकर चर्चा की.
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